Tuesday, January 31, 2012

राजनैतिक, आर्थिक, संस्कृतिक मुद्दो और आम आदमी के सवालो पर सार्थक हस्तक्षेप Hastakshep.com

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भाजपा को राम का और सपा को इमाम का सहारा

Posted: 31 Jan 2012 10:09 AM PST

 किसका बुखार छुड़ाएंगे बुखारी?  बुखारी के तीर से मुलायम के तीन शिकार  बुखारी और मुलायम प्रेम का कोण? अमलेन्दु उपाध्याय राजनीति में कौन दुश्मन कब दोस्त बन जाए और दोस्त, दुश्मन कहा नहीं जा सकता। संभवतः वह 24 या 25 सितंबर 1993 की तारीख थी और स्थान था लखनऊ का बेग़म हज़रत महल पार्क। बाबरी [...]

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जिस जनता ने सरकार बनाई है उस पर राजद्रोह!

Posted: 31 Jan 2012 10:04 AM PST

हिमांशु कुमार आज गांधी शांति प्रतिष्ठान में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 a को समाप्त करने की मांग को लेकर एक राष्ट्रीय सम्मलेन हुआ ! इसमें देश भर से कार्यकर्त्ता आये थे !जो लोग किसानों , मजदूरों , आदिवासियों , महिलाओं ,छात्रों आदि के साथ काम करते हैं उन सब ने अपने अनुभव इस [...]

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बाल श्रमिक से शब्दाचार्य तक की यात्रा

Posted: 31 Jan 2012 09:36 AM PST

दयानंद पांडेय  पत्रकारिता और भारतीय समाज के रीयल हीरो हैं अरविन्द कुमार : हम नींव के पत्थर हैं तराशे नहीं जाते। सचमुच अरविन्द कुमार नाम की धूम हिन्दी जगत में उस तरह नहीं है जिस तरह होनी चाहिए। लेकिन काम उन्होंने कई बड़े-बड़े किए हैं। हिन्दी जगत के लोगों को उन का कृतज्ञ होना चाहिए। [...]

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हमारी राहें चाहे जुदा हो..पर मंज़िल एक हो

Posted: 31 Jan 2012 09:25 AM PST

26 जनवरी 2012 को बान्दा ज़िले में शबरी संस्थान द्वारा 'प्रेमचन्द स्मृति सम्मान' के आयोजन में सत्यनारायण पटेल द्वारा दिया गया वक्तव्य। यह सम्मान सत्यनारायण पटेल को कहानी संग्रह- लाल छींट वाली लूगड़ी का सपना' के लिए प्रदान किया गया।  साथियो आज आपके बीच आकर मुझे अच्छा लग रहा है.., और कुछ असमंजस में भी [...]

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बिग मीडिया’ सिर्फ ‘प्रकाशन व प्रसारण’ की ‘लक्ष्मण रेखा’ में ही सिमट कर रह गया है.

Posted: 31 Jan 2012 08:58 AM PST

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष माननीय जस्टिस काटजू सा. के ध्यानार्थ जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, की अनुरोध-पाती  Monday, 30 January 2012हम अपनी बात का आरम्भ गुरुवर रविन्द्रनाथ ठाकुर की कालजयी कृति “गीतांजली” में प्रकाशित एक रचना की इन पंक्तियों से कर रहे हैं - ” तुम मेरे अपने हो, मेरे ही समीप हो / कहने [...]

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शेक्सपियर के नाटक और स्टीफेंस का बयान

Posted: 31 Jan 2012 08:11 AM PST

प्रेमप्रकाश ब्रह्मांड का रहस्य जटिल तो है पर अबूझ नहीं। इस रहस्यमयता का भेदन रोमांटिक तो हो सकता है पर डरावना कतई नहीं। इसलिए यह मानने का भी कतई कोई कारण नहीं है कि इस सृष्टि का स्रष्टा ईश्वर है। स्टीफन विलियम हॉकिंग जब यह कहते हैं तो उनकी वैज्ञानिक दृष्टि की सूक्ष्मता और उपलब्धि [...]

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बामुलाहिजा : अपना लेवल आजकल थोडा बढ़ गया है.

Posted: 31 Jan 2012 07:51 AM PST

कीर्तिश भट्ट

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जारी हैं सुशासन में पत्रकारों, आरटीआई एक्टिविस्ट्स पर जानलेवा हमले

Posted: 31 Jan 2012 05:20 AM PST

काॅरपोरेट मीडिया जिन नीतीश कुमार की छवि कुशल और ईमानदार प्रशासक की बना रहा है उन नीतीश के सुशासन में जद यू और भाजपा के शीर्ष नेता न केवल मीडिया और आरटीआई एक्टिविस्ट्स पर हमले कर रहे हैं बल्कि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी तो एक हमलावर भाजपा नेता के पक्ष में तर्क दे रहे हैं कि [...]

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सबसे बड़ा लोकतंत्र सबसे महंगा हो गया

Posted: 30 Jan 2012 10:35 PM PST

स्वाधीनता के 62 बरस बाद लोकतंत्र का सच पुण्य प्रसून बाजपेयी क्या गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई यह कहने की हिम्मत कर सकता है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बनना भारत के लिये सबसे महंगा सौदा हो गया। यकीनन किसी भी देश के लिये अपना संविधान होना और संविधान की लीक पर [...]

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वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार धर्मस्वरूप गुप्त नहीं रहे

Posted: 30 Jan 2012 10:10 PM PST

जयश्री राठौड़ प्रसिद्घ साहित्यकार व पत्रकार डॉ0 धर्म स्वरूप गुप्त (७६) का २९ जनवरी रविवार को निधन हो गया। वह साहित्य के के अलावा शिक्षा, पत्रकारिता व नाट्य कला के क्षेत्र से जुड़े रहे हैं। इस उम्र में भी वे सक्रिय थे और यदा-कदा साहित्य के कार्यक्रमों में हिस्सा  लेते रहते थे। मुखर और अपनी [...]

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