Tuesday, January 31, 2012

Very Unhappy Republic Day to You All

             
                                                                                  Very Unhappy Republic Day to You All
 
From: Ravi Verma - ravisverma2004@yahoo.co.in;
 
आदरणीय राष्ट्रप्रेमी भाइयों और बहनों
 
1947 में जब देश आजाद हुआ तो बीबीसी के एक पत्रकार ने गांधीजी से पूछा कि "  बापू, अब तो देश आजाद हो गया है, अब आप किससे लड़ेंगे" ? तो गांधीजी ने कहा कि
"अभी देश आजाद नहीं हुआ, अभी तो अंग्रेज सिर्फ भारत छोड़ के जा रहे हैं, अभी तो  अंग्रेजों की बनाई गयी जो व्यवस्था है, जो नियम है, जो कानून है, अभी तो हमको
उसे बदलना है, असली लड़ाई तो अब होगी"| गाँधी जी कुछ करते उससे पहले उनकी हत्या  हो गयी लेकिन उनके द्वारा घोषित व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई आज तक नहीं हो पाई
है | गांधीजी के शरीर को तो एक व्यक्ति ने मारा था यहाँ तो 64 सालों में  गांधीजी के विचारों को मार दिया गया है (ध्यान दीजियेगा -उनके विचार मरे नहीं
बल्कि मार दिए गए) और उनकी आत्मा को दफना दिया गया है, इन 64 सालों में भारत का  एक भी प्रधानमंत्री नहीं हुआ जिसने गाँधी जी के समाधि पर जाकर नाटक नहीं किया |
गाँधी जी की लड़ाई वहीं रुक गयी उनके जाने के बाद और सत्ता की लड़ाई शुरू हुई |  भारत के लोग धीरे-धीरे व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई को भूलते चले गए और आज 64
साल बाद दुःख से कहना पड़ता है कि वो सब कानून आज भी इस देश में वैसे ही चल रहे  हैं जो कभी भारतीयों को प्रताड़ित करने के लिए बनाये थे और लगाये थे | मतलब ये
हुआ कि अंग्रेज चले गए लेकिन अंग्रेजियत नहीं गयी, सत्ता का हस्तांतरण हुआ  लेकिन स्वतंत्रता नहीं आयी | स्वतंत्रता कोई बड़ी चीज होती है और सत्ता का
हस्तांतरण बहुत छोटी चीज होती है, सत्ता गोरे अंग्रेजों के हाथ से निकल कर काले  अंग्रेजों के हाथ में आ गयी, बस यही हुआ, स्वतंत्रता नहीं आयी | स्वतंत्रता दो
शब्दों को मिला के बना है स्व+तंत्र , और "स्व" का मतलब होता है "अपना" और "तंत्र" का मतलब होता है "व्यवस्था" | जब तक हम अपना तंत्र नहीं बनायेंगे तब तक
हम स्वतंत्र कैसे हुए, तंत्र तो अंग्रेजों का ही चल रहा है, अब तंत्र उनका चल  रहा है तो लूट भी वैसे ही हो रहा है जैसे अंग्रेज लुटा करते थे | और जो तथाकथित
विकास हुआ, उस विकास के पैमाने क्या हैं इस देश में, इसको भी  देखिये................
 
1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस देश के ऊपर एक नए पैसे का विदेश कर्ज नहीं था और विकास इतना हुआ है कि प्रत्येक भारतीय पर दस हजार रूपये से ज्यादा का कर्ज
लदा हुआ है | दो सौ साल अंग्रेजों ने इस देश को लुटा तो भी हमारे ऊपर एक नए पैसे का विदेशी कर्ज नहीं था और आजादी के 64 साल बाद इस देश का बच्चा-बच्चा
कर्जदार हो गया है, ये विकास हुआ है इस देश का |
 
भारत जब आजाद हुआ तो सारी दुनिया के व्यापार में हमारे देश की हिस्सेदारी दो प्रतिशत थी और आज 2012 में यह घटकर आधे प्रतिशत से भी कम हो गया है, ये विकास
हुआ है इस देश का |
 
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 1947-48 में हमारा विदेशी व्यापार घाटा दो करोड़ रूपये का था, आज 2011 के अंत में ये बढ़ कर 13601 मिलियन अमेरिकी डौलर का
हो गया है, ये विकास हुआ है इस देश का |
 
1947-48 में चार आने सेर का गेंहू बिकता था इस देश में, आज 20 रूपये किलो का गेंहू हो गया है, ये विकास हुआ है इस देश का |
 
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के हिसाब से 1947-48 में छः आने का एक सेर दूध बिकता था  गाय का, और वो भी शुद्ध, और आज 32 -35 रूपये लीटर पावडर का दूध मिल रहा है, ये
विकास हुआ है इस देश का |
 
1947-48 में तीन पैसे की एक सेर तरकारी (सब्जी) मिलती थी, आज 20 रूपये में एक  पाव तरकारी मिल जाये तो भाग्यशाली समझिएगा,ये विकास हुआ है इस देश का |
 
1947 -48 में सबसे अच्छे आम खाने को ही नहीं बाटने को मिलते थे और आज 2012 में  आम तो खाना दूर मैंगो फ्रूटी मिल रही है 200 रूपये किलो और कहते हैं विकास हुआ
है इस देश का |
 
इस देश में प्रचुर मात्रा में पानी था और देश की नदियाँ पानी भरी रहती थी, आज  500 -600 फीट पर पानी नहीं मिलता, नेताओं के घर में, चौक-चौराहों पर पानी के
फव्वारे लगे हैं और टेलीविजन पर प्रचार आता है "पानी का मोल पहचानिए" ये हुआ है  विकास इस देश का |
 
जमीन, पानी, दूध और शिक्षा इस देश में कभी बिकने की वस्तु नहीं रही, आज सब बिक  रहा है बाजार में, और पानी बिक रहा है 12 रूपये का एक लीटर और कह रहे हैं कि
विकास हो रहा है |
 
1947 -48 में 4 करोड़ गरीब थे इस देश में, आज 84 करोड़ गरीब हो गए हैं और छाती ठोक-ठोक के कह रहे हैं कि विकास हो रहा है |
 
1952 में हमारे देश के सबसे गरीब आदमी को 12 रूपये मिलते थे वो आज बढ़ के 20  रूपये हो गयी है, मतलब 8 रूपये की वृद्धि हुई है 64 सालों में और अगर उसमे
inflation को जोड़ दे तो ये बढ़ोतरी नहीं घटोतरी हुई है, और 1952 में हमारे देश  के MPs को और MLAs को जितना पैसा मिलता था उसमे 1000 गुने की वृद्धि हुई है ,
ये विकास हुआ है इस देश का |
इस देश के 84 करोड़ लोगों को एक दिन में 20 रुपया नहीं मिल रहा है और देश के  राष्ट्रपति के ऊपर एक दिन का खर्चा 8 लाख रुपया है, और साल भर का खर्च जोड़ दे
तो ये 29 करोड़ रूपये है, ये विकास हुआ है इस देश का |
इस देश के 84 करोड़ लोगों को एक दिन में 20 रुपया नहीं मिल रहा है और देश के  प्रधानमंत्री के ऊपर एक दिन में होने वाला खर्चा 7 लाख रुपया है और साल में
लगभग 25 करोड़ रुपया, ये विकास हुआ है इस देश का |
वर्तमान में भारत के 70 करोड़ किसानों पर एक साल में 10 हजार करोड़ रुपया खर्च  होता है और भारत के सवा पाँच हजार MLSs , 850 MPs , जिनमे प्रधानमंत्री और
राष्ट्रपति शामिल हैं, उनका खर्च एक साल में 80 हजार करोड़ रुपया है, किस भारत  में हम जी रहे हैं और किस भारत के भविष्य की कल्पना कर रहे हैं हम |
 
दोस्तों, सच में पूछिये तो विकास नहीं विनाश हुआ है इस देश का | कुछ लोग कहेंगे  कि, रोड पर सिएलो दौड़ रही है, मर्सिडीज दौड़ रही है, बड़े-बड़े फ्लाई ओवर बन
गए हैं, मेट्रो ट्रेन की धूम है, लो फ्लोर बसें चल रहीं है, केंटकी फ्रायड  चिकेन आ गया है, मैकडोवेल आ गया है, पिज्जा बिक रहा है, बर्गर बिक रहा है, तो
क्या ये सब बेवकूफी है ? मैं यही आपको कहना चाहता हूँ कि आप जो भी देख रहे हैं  वो सब उधार का विकास है, कर्ज से किया हुआ विकास है और भारत सरकार हर साल,
पिछला कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेती है | तो इसलिए दोस्तों, मुझे इस  गणतंत्र दिवस पर ख़ुशी नहीं दुःख हो रहा है कि किस मुंह से आप लोगों को बधाई
दूँ, इसलिए आपलोगों से क्षमा मांगते हुए ये कह रहा हूँ                                                                                                                                                                                                                            "Very Unhappy Republic
Day to You All"
 
राजीव दीक्षित , सूत्रधार , एक भारत स्वाभिमानी , रवि
 
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सोनिया इटली से भारत आ सकती हैं तो मैं एमपी से यूपी क्‍यों नहीं
 
http://www.bhaskar.com/article/NAT-uma-on-rahul-sonia-2767306.html?HT3
From: Ravi Verma  - ravisverma2004@yahoo.co.in;
यूपी चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही सियासी जंग तेजी होती जा रही है। बीजेपी की स्‍टार प्रचारक उमा भारती ने कांग्रेस महा‍सचिव राहुल गांधी पर जमकर पलटवार
किया है। उन्‍होंने अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के बहाने राहुल को जवाब देते हुए कहा कि वह बाहरी नहीं हैं बल्कि मध्‍य प्रदेश से हैं। उन्‍होंने कहा, 'यदि सोनिया
इटली से भारत आ सकती हैं तो मैं एमपी से यूपी क्‍यों नहीं आ सकती।'
 
गौरतलब है कि बीजेपी ने बुधवार रात को ऐलान किया कि उमा भारती यूपी चुनाव  लड़ेंगी। इसके अगले दिन ही राहुल ने आज एक सभा में उमा भारती को यूपी चुनाव के
लिए बीजेपी से टिकट मिलने पर निशाने पर लिया।
 
राहुल ने सवालिया लहजे में कहा, 'जब बुंदलेखंड मर रहा था तब उमा भारती कहां थीं। हम आपके मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री तक ले गए। अब जब चुनाव में 15 दिन
बचे हैं तो आ गईं। मध्‍य प्रदेश से एक नेता अभी अभी बीजेपी में आई हैं। कहां थी ये जब बुंदेलखंड रो रहा था। जब जरूरत थी वो तब कहां थी। जब जरूरत थी तो दिल्‍ली
के चक्‍कर काट रही थीं, एमपी से तो पहले ही निकाल दिया गया था। एमपी से निकाला गया तो वह यूपी में आ गईं। एमपी की नेता यूपी में क्‍यों।'
 
उमा ने इसके जवाब में कहा, 'मैं राहुल को याद दिलाना चाहूंगी कि उनकी मां रोम की हैं और उन्‍हें भारत में स्‍वीकार कर लिया गया है। राहुल को पहले अपनी मां
का बैकग्राउंड देखना चाहिए, इसके बाद ही बुआ पर कोई टिप्‍पणी करनी चाहिए। मैंने राहुल के गुरु को एमपी में परास्‍त किया है, अब मैं गुरु और चेला दोनों को
पराजित करने यूपी आई हूं। मैं एमपी से हूं, कोई बाहरी नहीं। यूपी की जनता भी मुझे स्‍वीकार करेगी।'
 
उमा ने कहा कि यूपी की मुख्‍यमंत्री मायावती, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी सभी बेनकाब हो गए हैं। उन्‍होंने पिछड़ों के आरक्षण
में सेंध लगाकर उनका हक लूटा है। अल्‍पसंख्‍यकों को शिक्षा और रोजगार मिलना चाहिए लेकिन ओबीसी की कीमत पर नहीं। ये अल्‍पसंख्‍यकों को आरक्षण के नाम पर देश
को बांटने की साजिश कर रहे हैं। बसपा सरकार ने यूपी में सभी वर्गों के साथ धोखा किया है।
 
यह पूछे जाने पर कि पार्टी के सत्‍ता आने पर क्‍या वह मुख्‍यमंत्री पद की प्रबल दावेदार होंगी, उमा ने कहा, 'मैं संतरी की भूमिका में हूं और यूपी में लूट नहीं
होने दूंगी।'
 
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भारत की बहुत सी समस्याओं के लिये नेहरू को जिम्मेदार
 
From: Ravi Verma - ravisverma2004@yahoo.co.in;
 
भारत की बहुत सी समस्याओं के लिये नेहरू को जिम्मेदार माना जाता है। इन
 
समस्याओं में से कुछ हैं:
 
• लेडी माउंटबेटन के साथ नजदीकी सम्बन्ध
 
• भारत का विभाजन
 
• कश्मीर की समस्या
 
• चीन द्वारा भारत पर हमला
 
• मुस्लिम तुष्टीकरण
 
• भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के
लिये चीन का समर्थन
 
• भारतीय राजनीति में वंशवाद को बढावा देना
 
• हिन्दी को भारत की राजभाषा बनने में देरी करना व अन्त में अनन्त काल के लिये
स्थगन
 
• भारतीय राजनीति में कुलीनतंत्र को बनाये रखना
 
• गांधीवादी अर्थव्यवस्था की हत्या एवं ग्रामीण भारत की अनदेखी
 
• सुभाषचन्द्र बोस का ठीक से पता नहीं लगाना
 
• भारतीय इतिहास लेखन में गैर-कांग्रेसी तत्वों की अवहेलना
 
• सन 1965 के बाद भी भारत पर अंग्रेजी लादे रखने का विधेयक संसद में लाना और  उसे पारित कराना : 3 जुलाई, 1962 को बिशनचंद्र सेठ द्वारा पंडित जवाहरलाल नेहरू
को लिखे गये पत्र का एक हिस्सा निम्नवत है- राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रति सरकार  की गलत नीति के कारण देशवासियों में रोष व्याप्त होना स्वाभाविक है। विदेशी
साम्राज्यवाद की प्रतीक अंग्रेजी को लादे रखने के लिए नया विधेयक संसद में न  लाइये अन्यथा देश की एकता के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।...यदि आपने अंग्रेजी को
1965 के बाद भी चालू रखने के लिए नवीन विधान लाने का प्रयास किया तो उसका  परिणाम अच्छा नहीं होगा।
 
• डा. राममनोहर लोहिया ने संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के  ऐशो आराम पर रोजाना होने वाले 25 हजार रुपये के खर्च को प्रमुखता से उठाया था।
उनका कहना था कि भारत की जनता जहां साढ़े तीन आना पर जीवन यापन कर रही है उसी  देश का प्रधानमंत्री इतना भारी भरकम खर्च कैसे कर सकता है।
 
• सन् 1955 में चीन द्वारा किए गए आक्रमण की बात देश से छिपाकर रखी गई।
 
By :- रोशन भारत
 
By: भारत की विजय
 
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