Friday, April 20, 2012

राजनैतिक, आर्थिक, संस्कृतिक मुद्दो और आम आदमी के सवालो पर सार्थक हस्तक्षेप Hastakshep.com

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हमने तो ढोर डंगरों से अंग्रेजी सीखी क्योंकि तब सिब्बल युग नहीं था !

Posted: 20 Apr 2012 09:30 AM PDT

पलाश विश्वास हमने तो ढोर डंगरों से अंग्रेजी सीखी! हमारे बच्चों के मुकाबले हम खुशकिस्मत जरूर हैं कि हमें सिब्बल समय में निजी ग्लोबल विश्व विद्यालयों में गरीबों को मिले आरक्षण के भरोसे पढ़ना लिखना नहीं पड़ा। सरकारी स्कूलों का तब कबाड़ा नहीं हुआ था और बिना ट्यूशन, बिना कोचिंग हम लोग थोड़ा बहुत लिख [...]

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वाह रे बालीवुड, उलटा तेरा निजाम, खाते हैं हिंदी की जुगाली करते अंग्रेजी की

Posted: 20 Apr 2012 08:12 AM PDT

 जयश्री राठौड़ पंचकूला के सेक्टर-१४ स्थित अकादमी भवन के सभागार में हरियाणा ग्रन्थ अकादमी की ओर से समकालीन कविता पर राष्टï्रीय संगोष्ठïी आयोजित की गई। संगोष्ठïी में वक्ताओं ने कविता को जनमानस से जोडऩे का आह्वïान किया।  संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि कविता को बौद्धिक बना देने से कविता जनमानस से दूर होती जा [...]

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पार्कों और स्मारकों की राजनीति और जनहित

Posted: 20 Apr 2012 06:01 AM PDT

एस. आर. दारापुरी हाल में कुछ अंग्रेजी समाचार पत्रों में यह खबर छपी है कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि वह मायावती द्वारा बनाए गए पार्कों और स्मारकों में खाली पड़ी जमीन में अस्पताल अथवा स्कूल बनवाएंगे। यह मुद्दा उनके घोषणा पत्र में भी शामिल है। यद्यपि उन की [...]

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संकटमोचक है संसद की याचिका समिति

Posted: 20 Apr 2012 03:35 AM PDT

शेष नारायण सिंह  भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. इस लोकतंत्र का सबसे बड़ा निशान भारत की संसद है . एक अजीब बात है कि संसद के काम काज के बारे में बहुत लोगों को मालूम ही नहीं रहता . अपनी संसद में कमेटी सिस्टम लागू है . बहुत सारी समितियां हैं . जिनका [...]

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जहर होता भू-जल..

Posted: 20 Apr 2012 02:52 AM PDT

पंकज चतुर्वेदी दिल्ली सहित कुछ राज्यों में भू-जल के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए कानून बन गए हैं, लेकिन भू-जल को दूषित करने वालों पर अंकुश के कानून किताबों से बाहर नहीं आ पाए हैं..मीन की गहराइयों में पानी का अकूत भंडार है। यह पानी का सर्वसुलभ और स्वच्छ जरिया है, लेकिन यदि यह [...]

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‘मोदी अर्थात बिजनेस’ नारे का क्या यह अर्थ साफ है, बिजनेस अर्थात हत्या ? पार्ट-2

Posted: 20 Apr 2012 01:21 AM PDT

ओरिएन्ट क्राफ्ट: लूट का आधुनिक ढंाचा : अंजनी कुमार अखबार की रिपोर्ट के अनुसार ओरिएन्ट क्राफ्ट लिमिटेड गुड़गांव, 1978, में अस्तित्व में आया। विदेशी बाजार व कंपनियों के लिए काम करने वाली इस गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की कुल 21 संस्थान हैं जिसमें 25 हजार मजदूर काम करते हैं। यहां चालीस फैशन ब्रांड कंपनियों जिसमें मार्क [...]

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देवदास होना कोई हंसी खेल नहीं : दिलीप कुमार

Posted: 20 Apr 2012 12:13 AM PDT

दयानंद पांडेय    दिलीप कुमार से मिलना और बतियाना दोनों ही बहुत रोमांचकारी नहीं ही होता। होता तकलीफ़देह ही है। वह बहुत मुश्किल से मिलते हैं और बात भी बेरुखी से करते हैं। तिस पर कलफ़ लगी उर्दू या अंगरेजी में। और दोस्ताना या मिलनसार रवैया तो उन का हरगिज़ नहीं होता। जाने कैसे डाइरेक्टर [...]

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पूंजीवादी अंधविश्वास और प्रौपेगैण्डा का संगम हैं निर्मल बाबा

Posted: 19 Apr 2012 11:41 PM PDT

डा जगदीश्वर चतुर्वेदी निर्मल बाबा के टीवी विज्ञापनों और बेशुमार सालाना आमदनी की लेकर हठात मीडिया ने ध्यान खींचा है। मीडिया में चल रही बहस के दो आयाम हैं, पहला, मीडिया का एक वर्ग निर्मल बाबा के धर्म के धंधे की आलोचना कर रहा है और उन्होंने जो दौलत कमाई है उसके अन्य कामों में [...]

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किसे खुश करने के लिए हुई ब्याज दरों में कटौती?

Posted: 19 Apr 2012 08:21 PM PDT

सुब्बाराव ने सरकार के दबाव में लिया है एक बड़ा जोखिम आनंद प्रधान रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने अपने स्वभाव के विपरीत ब्याज दर में आधा फीसदी की कटौती का एलान करके एक बड़ा जोखिम लिया है. अर्थशास्त्रियों से लेकर बैंकरों तक को यह उम्मीद नहीं थी कि मुद्रास्फीति के खतरे के बने [...]

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मुद्राकोष के दबाव और मौद्रिक कवायद बेअसर हो जाने से कारपोरेट इंडिया की लाइफ लाइन बेहाल!

Posted: 19 Apr 2012 07:45 PM PDT

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों की रफ्तार थमने से मुंबई बेहाल है। लेकिन लगता है सरकार को लोगों की परेशानी से कोई लेना देना नहीं है। यही वजह है कि दो दिन बाद इस मुद्दे पर सियासी हलकों में हलचल शुरू हुई है। महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी [...]

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