Wednesday, April 25, 2012

राजनैतिक, आर्थिक, संस्कृतिक मुद्दो और आम आदमी के सवालो पर सार्थक हस्तक्षेप Hastakshep.com

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आज के भ्रष्टाचार के लिए बोफोर्स के भ्रष्टाचारी भी ज़िम्मेदार!

Posted: 25 Apr 2012 10:00 AM PDT

अभिरंजन कुमार  25 साल पहले बोफोर्स दलाली से जुड़ी ख़बर जहां से पैदा हुई थी, वहीं से आज एक बार फिर महत्वपूर्ण रहस्योद्घाटन हुए हैं। स्वीडन के तब के पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम ने 1987 में भारतीय पत्रकार चित्रा सुब्रह्मण्यम को इस दलाली से जुड़े तथ्यों की जानकारी दी थी। आज 25 साल बाद उन्हीं [...]

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खुशहाली और खुशी

Posted: 25 Apr 2012 09:30 AM PDT

डाॅ. असगर अली इंजीनियर इस वर्ष फरवरी के तीसरे सप्ताह में मुझे भूटान के प्रधानमंत्री का एक पत्र प्राप्त हुआ। इस पत्र में मुझे भूटान नरेश द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में "खुशहाली और खुशी" विषय पर आयोजित उच्च-स्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए निमंत्रित किया गया था। पत्र में कहा गया था कि बैठक [...]

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राष्ट्रपति पद के चुनाव में किसका है पलड़ा भारी?

Posted: 25 Apr 2012 05:59 AM PDT

सिद्धार्थ शंकर गौतम देश का राष्ट्रपति कैसा हो? अधिकाँश भारतीयों के मन-मस्तिष्क में यह सवाल कौंधता होगा? क्या राष्ट्रपति को मात्र रबर स्टाम्प जैसा होना चाहिए जैसा उदाहरण वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने पेश किया है| जिस प्रकार मीडिया में सोनिया गाँधी को मूक गुड़िया की संज्ञा दी जाती है, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को [...]

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झोपड़पट्टियों व बस्तियों को उजाड़ना बंद करो!

Posted: 25 Apr 2012 05:39 AM PDT

जमीन के सवाल पर मेहनतकश जनता के हक की लड़ाई जिन्दाबाद! नोनाडांगा का संघर्ष जिन्दाबाद! साथियो ! कोलकाता नगर निगम (केएमडीए) द्वारा पुलिस बल की मदद से नोनाडांगा बस्ती को उजाड़ने के खिलाफ बस्तीवासियों का जुझारू प्रतिरोध चल रहा है। हम वहां के गरीबों और मेहनतकशों की जुझारू एकता को सलाम करते हैं! केवल पश्चिम [...]

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एक एस. डी. एम. जो कानून, डी. एम. और न्यायालय के आदेशों पर भी भारी है!

Posted: 25 Apr 2012 04:19 AM PDT

गोरखपुर में एक तहसील है बांसगांव। इस के एस. डी. एम. हैं अमरनाथ राय। बांसगांव में वह अमर होने की ठान कर बैठे हैं। प्रमोटी हैं । बरास्ता तहसीलदार एस. डी. एम. हुए हैं। लेकिन दिमाग सातवें आसमान पर। पैसा मिल जाए तो कानून क्या किसी भी को भी बेंच खाएं। किस्से तो इन के [...]

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क्रिकेट नहीं, इंडस्ट्री कहिए

Posted: 25 Apr 2012 03:47 AM PDT

महेश राठी नब्बे के दशक की शुरूआत तक जो खेल घाटे का सौदा हुआ करता था अचानक देश का धर्म कहलाने लगा और उसको नियंत्रित करने वाला खेल बोर्ड आज दुनिया का सबसे अमीर खेल बोर्ड बन चुका है। राजनेताओं के बाद अब उोगपतियों के इस खेल में कूदने की लगातार बढ़ती बेताबी रेखांकित करती [...]

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कांग्रेसियों के बीच नंबर बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर किटकिटाने लगे काटजू !

Posted: 25 Apr 2012 02:46 AM PDT

यशवंत सिंह सच में कांग्रेसी एजेंट लगने लगे हैं मिस्टर काटजू : कारपोरेट मीडिया का कुछ उखाड़ नहीं पाए, अब कांग्रेसियों के आंख का तारा बनने के लिए बेवजह सोशल मीडिया को दुश्मन मान रहे : मिस्टर काटजू, हम आपको उन नब्बे फीसदी भारतीयों में शुमार करते हैं जिन्हें आप मूर्ख कहते हैं : जस्टिस [...]

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ये दरिद्रता के आँकड़े नहीं बल्कि आँकड़ों की दरिद्रता है

Posted: 25 Apr 2012 02:21 AM PDT

– आनन्द सिंह योजना आयोग द्वारा जारी ग़रीबी के नये आँकड़ों को मानें तो 2004-2005 से 2009-2010 के बीच देश में ग़रीबों की संख्या में भारी कमी आ गयी है। जो काम पिछले 50 वर्ष में नहीं हुआ वह इन पाँच वर्षों में हो गया! ग़रीबी-रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 37.2 प्रतिशत [...]

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मैदान के पानी से पहाड़ों में लगी आग बुझाना मुश्किल!

Posted: 24 Apr 2012 11:02 PM PDT

पलाश विश्वास नदियां पहाड़ों से निकलकर मैदानों में बहती हैं। मैदानों से निकलकर पहाड़ों में नहीं। इस शाश्वत प्राकृतिक सत्य को अमूमन राजनीति नजरअंदाज​करती है।पहले पहाड़ों को बाकी देश से काटकर वहां आग लगा दी जाती है और मैदानों के पानी से ही उस आग को बुझाने की कोशिश होती है।​हिमालय और उसकी गोद में [...]

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“वो कोई बारात हो या वारदात अब किसी भी बात पर खुलती नहीं हैं खिड़कियां.”

Posted: 24 Apr 2012 10:37 PM PDT

साहिल के तमाशाई   मोहन श्रोत्रिय   आज सुबह मीना कुमारी का एक शेर स्टेटस में दिया था. “साहिल के तमाशाई, हर डूबने वाले पर अफ़सोस तो करते हैं, इमदाद नहीं करते.” एक मित्र को लगा इस पर आलेख-जैसा कुछ हो तो बात और खुले. टिप्पणियां देखते हुए मिलती-जुलती ज़मीन पर उनका ही एक शेर [...]

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भारत भूमि जिन्हें बार-बार पुकारती है

Posted: 24 Apr 2012 09:30 PM PDT

सर विद्याधर सूरज प्रसाद नायपाल दयानंद पांडेय स्वीडन की रॉयल अकादमी ने जब साहित्य का नॉबेल पुरस्कार सर विद्याधर सूरज प्रसाद नायपाल को देने की घोषणा की, तो भारतीयों को यह सुखद लगा था। इस लिए भी की श्री नायपाल भारतीय मूल के दूसरे ऐसे लेखक हैं जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है। इस [...]

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कट्टरपंथी अपने ही संप्रदाय के दुश्मन !

Posted: 24 Apr 2012 08:55 PM PDT

तनवीर जाफरी पूरी दुनिया में इन दिनों उदारवाद बनाम कट्टïरपंथ रूपी एक विश्वव्यापी बहस छिड़ी हुई है। तमाम कट्टरपंथी व रूढ़ीवादी अपने अपने स प्रदायों (धर्मों)को सर्वोच्च या सर्वोपरि बताने की होड़ में लगे हैं। वैसे तो इस बात में कोई हर्ज भी नहीं है यदि कोई व्यक्ति अपने धर्म, विश्वास अथवा संप्रदाय को उत्तम [...]

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