Thursday, April 26, 2012

राजनैतिक, आर्थिक, संस्कृतिक मुद्दो और आम आदमी के सवालो पर सार्थक हस्तक्षेप Hastakshep.com

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सरकार का चेहरा ज्यादा हिंसक है

Posted: 26 Apr 2012 10:34 AM PDT

देश में नक्सलवाद गहन चिंता का विषय बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री इसे आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हैं। नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठकें होती हैं। माओवाद का कड़ाई से मुकाबला करने का प्रण लिया जाता है। सरकार कभी शांति प्रक्रिया की बात करती है, तो कभी आपरेशन ग्रीनहंट [...]

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अथ असिस्टैंट कथा दचब

Posted: 26 Apr 2012 09:30 AM PDT

जुगनू शारदेय कितने सौ साल पूरे हो रहे हैं हमारे देश में । मुझे अचरज हुआ जान कर सिनेमा का भी हमारे देश में सौ साल पूरा हो गया है । हमारे बचपन में सिनेमा देखना एक साहसिक कार्य था । हम तो पढ़ाई के बहाने घर से भाग कर नई फिल्में देखने बनारस, क्षमा [...]

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क्या किसी व्यवसायिक मीडिया के शीर्ष पर किसी प्रतिबद्ध पत्रकार को होना चाहिए?

Posted: 26 Apr 2012 08:51 AM PDT

अश्लीलता पर घमासान को लेकर कुछ सवाल पलाश विश्वास वैकल्पिक मीडिया के फोरम में इंडिया टूडे के ताजा अंक की अश्लीलता को लेकर घमासान मचा हुआ है। हमारे प्रिय मित्र, अगर वे हम जैसे नाचीज को मित्र मान लेने की उदारता दिखायें तो, आपस में भिड़े हुए हैं मूल्यबोध और प्रतिबद्धता के सवाल पर। मैं [...]

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गई नहीं महंगाई

Posted: 26 Apr 2012 07:57 AM PDT

महंगाई के आगे घुटने टेक चुकी है यू.पी.ए सरकार  मुद्रास्फीति के आंकड़ों में अपनी विफलता छुपाने की कोशिश कर रही है आनंद प्रधान महंगाई और मुद्रास्फीति के आंकड़ों की लीला अद्दभुत है. इस लीला के कारण यह संभव है कि मुद्रास्फीति की दर कम हो लेकिन आप महंगाई की मार से त्रस्त हों. हैरानी की [...]

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दलित स्त्री विमर्श आयातित नहीं है और भारत के आयातित नारी विमर्श में दलित स्त्रियों के लिए कोई जगह नहीं बनी

Posted: 26 Apr 2012 06:59 AM PDT

दिनांक 24.4.2012 को सायं 5 बजे गाँधी शांति प्रतिष्ठान, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में अनिता भारती तथा बजरंग बिहारी तिवारी द्वारा संपादित कहानी संग्रह 'यथास्थिति से टकराते हुए: दलित स्त्री जीवन से जुड़ी कहानियाँ' (लोकमित्र प्रकाशन) का विमल थोरात, डॉ.तेजसिंह, अल्पना मिश्र, संजीव कुमार, कवितेन्द्र इन्दु, अनिता भारती और बजरंग बिहारी द्वारा लोकार्पण किया [...]

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भारत विभाजन के अपराधी

Posted: 25 Apr 2012 09:07 PM PDT

चंचल कई 'चड्ढियां' ( यह कर्नाटक की महिलाओं का दिया हुआ नाम है, जब पब में से खींच- खींच कर महिलाओं को मारा गया था। उन्हें भारत की असल तमीज (?) सिखाने वाले हिन्दू तालिबानों ने एक भाई बहन तक को नहीं छोड़ा जो एक बस से सफर कर रहे थे ..) बेखौफ़, बेलौस अनाप-शनाप [...]

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बाजार का तो बाजा बजने लगा!

Posted: 25 Apr 2012 08:20 PM PDT

रेटिंग कटौती के पीछे  बाहरी दबाव का खतरनाक खेल, मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास वाशिंगटन से प्रणव मुखर्जी और कौशिक बसु की शास्त्रीय युगलबंदी से आर्थिक सुधारों के लिए जो बाहरी दबाव बना, वह रेटिंग में कटोती ​​से और ज्यादा मारक बनने लगा है। रेटिंग कटौती को प्रणव मुखर्जी ज्यादा तुल नहीं दे रहे हैं, [...]

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