Thursday, May 3, 2012

राजनैतिक, आर्थिक, संस्कृतिक मुद्दो और आम आदमी के सवालो पर सार्थक हस्तक्षेप Hastakshep.com

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जालियांवाला बाग कांड को दोहराया सुशासनी पुलिस ने

Posted: 03 May 2012 10:15 AM PDT

पटना  – औरंगाबाद में सुशासनी पुलिस ने जालियांवाला बाग कांड को दुहराया। निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलायी। लोग गिरते रहे और पुलिस गोली चलाती रही। इस पर तुर्रा यह कि इस घटना में कितने लोग मारे गये या फ़िर कितने लोग गंभीर रुप से घायल हुए "न्याय के साथ विकास" करने का दावा करने वाली [...]

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उस ने मरना भी चाहा तो आहट सुनाई दी

Posted: 03 May 2012 08:55 AM PDT

दयानंद पांडेय हम आप को हीरो कैसे मानें राजेश शर्मा? 'उस ने मरना भी चाहा तो आहट सुनाई दी।' सरीखी कविताएँ लिखने वाले राजेश शर्मा आज अपनी मौत नहीं मरे, तकलीफ इस बात की भी है। मरना सभी का तकलीफदेह होता है पर राजेश शर्मा अपने लिए ऐसी शर्मनाक मौत चुनेंगे किसी को यह मालूम नहीं [...]

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संक्रमण के दौर में अहम् भूमिका है मीडिया की

Posted: 03 May 2012 08:08 AM PDT

PRESS RELEASE By Justice Markandey Katju Chairman, Press Council of India                                                                                                                                 New Delhi PR/14/2012-213                                                                                                              3.5.2012       On the occasion of the World Press Freedom Day, I wish to issue the following statement to the Indian Media as well as to the Media of the whole...

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बड़े भूमाफियों का सुरक्षा कवच भूदान

Posted: 03 May 2012 07:19 AM PDT

रणधीर सिंह 'सुमन' आज़ादी के बाद आज़ादी के सुख के प्रसाद का वितरण प्रारम्भ हुआ, जिसमें सामन्तों, अभिजात वर्ग के लोगों को राज्यपाल, विदेशों में राजदूत तथा देश के अन्दर सरकारी धन से पोषित होने वाले विभिन्न संगठनों में मानद पद दिए गए, जिससे वे लोग आज़ादी का सुख प्राप्त कर सकें। आज़ादी का सुख [...]

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तो हठधर्मी और निकृष्ट सम्पादक हैं ओम थानवी ?

Posted: 03 May 2012 06:34 AM PDT

 मंगलेश जी संबंधी विवाद पर समकालीन तीसरी दुनिया के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा ने मंगलेश जी को पत्र लिखा और उन्होंने बहस के लिए “कल के लिए” के कार्यकारी सम्पादक अशोक कुमार पाण्डेय को दे दिया. यहाँ हम  अशोक कुमार पाण्डेय की  टिप्पणी सहित वर्मा जी का पत्र दे रहे हैं मंगलेश जी संबंधी विवाद [...]

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ट्रेड यूनियन के दवाब में विवेक समर्पण कर दिया मंगलेश जी ने !

Posted: 03 May 2012 06:00 AM PDT

[मंगलेश डबराल प्रकरण पर बहस में ] मंगलेश डबराल जी को खुला पत्र आदरणीय मंगलेश डबराल जी, मंगलेश डबराल जी  किसी कार्यक्रम में जाना या नहीं जाना यह अपका अपना फैसला है। आप भारत नीति प्रतिष्ठान के कार्यक्रम समान्तर सिनेमा, के गोष्ठी में अध्यक्ष के नाते आये थे। मैं भी श्रोताओं में था और कार्यक्रम [...]

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काशीनाथ की कुकुर कथा का पुनर्पाठ

Posted: 03 May 2012 05:19 AM PDT

सुभाष राय  पिछले दिनों लखनऊ में तद्भव के परिसंवाद में काशीनाथ सिंह ने कोई गलतबयानी नहीं की। साहित्यकार सीवान में भौंकता कुत्ता है, जिसकी बात कोई नहीं सुनता। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह केवल विवाद पैदा करके खबरों में आने जैसी बात नहीं है, न ही किसी तरह की जल्दबाजी में कही गयी हल्की [...]

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अखबार मालिक की बात तो माननी होती है : विनोद मेहता

Posted: 03 May 2012 02:17 AM PDT

लखनऊ में पले बढ़े और पढ़े लिखे आउटलुक के एडीटर इन चीफ रहे विनोद मेहता ने पत्रकारिता में जो प्रसिद्धि का शिखर छुआ है उस से किसी को भी रश्क हो सकता है। खास कर नया अखबार या नई पत्रिका निकाल कर उसे स्थापित करने में उन का कोई सानी नहीं रहा है। डेबोनियर, इंडिपेंडेंट, [...]

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सीधे जनरलों को ही खरीद डालें ?

Posted: 03 May 2012 01:20 AM PDT

राजीव लोचन साह जो लोग 1962 और 65 में चीन या पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों के साक्षी रहे हैं, उन्हें इन दिनों सेना में हो रही घटनाओं से शर्म आ रही होगी। तब लोग मोर्चे पर जा रहे सैनिकों को गले मिल कर विदाई देते थे, जगह-जगह स्टेशनों पर उनका बारातियों की तरह स्वागत [...]

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सक्रिय राजनीतिज्ञ हो देश का राष्ट्रपति

Posted: 03 May 2012 12:29 AM PDT

 विनय कांत मिश्र देश में इन दिनों राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। देखा जा रहा है कि सभी दल पार्टी के प्रति वफादार हो चुके हुए किसी भी सिपाही को राष्ट्रपति के पद को उपहार स्वरूप देकर उपकृृत करना चाहते हैं। विभिन्न सियासी दलों के बीच आम सहमति बनाने की कवायद तेज हो [...]

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आडवानी को हिटलर पसंद है और संघ को अन्ना …..

Posted: 03 May 2012 12:06 AM PDT

चंचल भ्रष्टाचार कई पर्त में है, मै उस पर्त को उघार रहा हूँ जिसमे आम आदमी दबा पड़ा है और वह है रोजमर्रा का भ्रष्टाचार. रोज ही ‘घूस-पताई’. सरकारी दफ्तरों का प्रत्यक्ष और परोक्ष धंधा है,’नोट दो काम लो’ एक आदमी अपने बीस काम छोड़ कर किसी दफ्तर में चालीस चक्कर काटे उससे अच्छा है [...]

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नामवर सिंह मनसा-वाचा मार्क्सवादी हैं,कर्मणा नहीं

Posted: 02 May 2012 10:39 PM PDT

आलोचना में नामवर सिंह का साठोत्तरी प्रेम नामवर सिंह और प्रयोजनमूलक मार्क्सवाद की परंपरा जगदीश्वर चतुर्वेदी नामवरसिंह पर लिखना बेहद असुविधाएं पैदा करता है। मन करता है उनकी खूब प्रशंसा करूँ , विवेक कहता है आलोचना करूँ। आलोचना को विवेक संचालित करता है। लेकिन नामवरसिंह के लेखन में विवेक के साथ भावुकता का भी विशेष [...]

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भूत के भविष्य में वर्तमान की नियति !

Posted: 02 May 2012 09:47 PM PDT

 पलाश विश्वास भारतीय सिनेमा प्रेमियों के लिए बतौर फिल्म निर्देशक सत्यजीत राय कोई अनजाना नाम नहीं है। दुनिया भर के फिल्मप्रेमी उन्हें पथेर पांचाली और चारुलता के सौजन्य से पहचानते हैं। पर बंगाल में सत्यजीत राय की लोकप्रियता इन फिल्मों के लिए उतनी नहीं, जितनी कि उनकी बच्चों के लिए बनायी गयी​ ​फिल्मों और बच्चों [...]

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कल के अछूत अब पूजनीय ?

Posted: 02 May 2012 09:10 PM PDT

-तेजवानी गिरधर दुनिया भी अजीब है। कई बार जीते जी किसी शख्स की दो कौड़ी की इज्जत कर देती है और मरने के बाद पूजने लग जाती है। कभी राजस्थान के एक मात्र सिंह के नाम से अलंकृत पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत जब उपराष्ट्रपति पद से निवृत्त हो कर प्रदेश में लौटे तो भाजपा [...]

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अपने अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री को बधाई दीजिए भाई!

Posted: 02 May 2012 08:52 PM PDT

अभिरंजन कुमार अपने अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री जी को बधाई दीजिए! जब वो देश की भोली-भाली जनता को विकास दर के आंकड़ों में भरमा रहे हैं, तब अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने हमें बताया है कि उनके कार्यकाल के शुरुआती पांच साल यानी 2004-05 से लेकर 2009-10 तक रोज़गार मात्र 0.1 फीसदी बढ़ा। इन पांच वर्षों में देश [...]

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