Thursday, June 28, 2012

लखनऊ के जिलाधिकारी अनुराग यादव ने खुद ही दे दी कानून तोड़ने की मोहलत !

दाग स्मारकों पर, परवाह किसेजागरण संवाददाता, लखनऊ : नवाबों के शहर लखनऊ
का बड़ा नाम सुनकर इसे देखने के ख्वाहिशमंद अगर कहीं बेगम हजरत महल पार्क
के पास पहुंच गए तो उनका जायका बिगड़ना तय है। साथ ही बिगड़ेगी लखनऊ की
वह तस्वीर भी, जिसने इस शहर को दुनिया भर में अलग स्थान दिला रखा है।
यहां काबिज अतिक्रमण और अफरातफरी भरा अवैध बाजार न केवल संरक्षित
स्मारकों पर दाग लगा रहा है, बल्कि यातायात में रुकावट बन रहा है।
विडंबना यह है कि इसे रोकने के जिम्मेदार अधिकारी ही इसे बढ़ावा देने पर
आमादा हैं। आइये पहले चलते हैं रेजीडेंसी। एक तरफ शहीद स्मारक और दूसरी
ओर रेजीडेंसी। नियम तो यह कहते हैं कि दोनों स्मारकों के बीच मुख्य मार्ग
के फुटपाथ पर किसी तरह का कच्चा-पक्का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए, लेकिन
यहां तो फुटपाथ की जमीन तक नजर आना मुहाल है। फलों की बड़ी-बड़ी दुकानों
ने पटरी दुकानदारों के नाम पर तिरपाल लगा कर पूरी जगह घेर रखी है। हर
तिरपाल के नीचे कई ठेले और प्लास्टिक की दर्जनों पेटियां लगा कर घेरेबंदी
की गई है। कुछ दिनों पहले तक सहमी सी किनारे की ओर सिमटी यह दुकानें
गुरुवार को और आगे बढ़ आई थीं और दुकानदार भी आत्मविश्वास से लबरेज थे।
हों भी क्यों न, जब खुद जिलाधिकारी ने इन्हें कानून तोड़ने की मोहलत दे
रखी है। विस्थापन की व्यवस्था के बाद ही अवैध फलमंडी को हटाने के निर्देश
ने अतिक्रमण और स्मारकों के पास अवैध कब्जे करने वालों को और प्रोत्साहित
कर दिया है। रेजीडेंसी मोड़ से लेकर नबीउल्लाह रोड मोड़ तक पूरे फुटपाथ
पर काबिज इन दुकानों में खरीदारी करने आने वालों को सड़क पर ही खड़ा होना
पड़ रहा है और उनके वाहन भी सड़क का बड़ा हिस्सा घेरे रहते हैं। शाम को
मंडी शबाब पर होती है तो यातायात का दबाव भी खासा रहता है। ऐसे में मुख्य
मार्ग का यह हिस्सा अराजकता की ही चपेट में रहता है। दूसरी ओर बेगम हजरत
महल पार्क के पीछे सआदत अली खां के मकबरे की चारदीवारी भी इसी तरह
अतिक्रमण का शिकार बन गई है। यहां आधा दर्जन से अधिक फुटपथिया रेस्तरां
चल रहे हैं। ईंटों के बीच दिन भर पकने वाले भोजन के ईंधन का धुआं
स्मारकों पर काली छाया की तरह मंडरा रहा है। यहीं कई ठेले भी सड़क पर
काबिज हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=37&edition=2012-06-29&pageno=2#id=111744139175454984_37_2012-06-29

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