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- अन्ना से तो बेहतर निकले बाबा रामदेव
- होइहि सोइ जो ओबामा रचि राखा…
- प्रणव को समर्थन न देते तो क्या बीजेपी के प्रत्याशी को जिताते ?
- कविता मेरी मजबूरी, आखिरी हथियार, और मेरे जिंदा होने का आखिरी सबूत है
- 18 जुलाई बनारस चलो…
- हमारी दुनिया को कई गांधी चाहिए : मानवता पर फ्रांस में विमर्श
- मरने वाले मरते रहें, आप कविता-कहानी करते रहें!
- सत्तातंत्र के साथ क्यों खड़ा है मीडिया?
अन्ना से तो बेहतर निकले बाबा रामदेव Posted: 17 Jul 2012 07:04 PM PDT तेजवानी गिरधर योग गुरु बाबा रामदेव ने इशारा किया कि वे 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अर्थात उनका संगठन भारत स्वाभिमान चुनाव मैदान में उतर सकता है। वे पूर्व में भी इस आशय का इशारा कर चुके हैं। बाबा रामदेव अगर ऐसा करते हैं तो यह उन अन्ना हजारे व उनकी से बेहतर [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
Posted: 17 Jul 2012 08:30 AM PDT पलाश विश्वास होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा।। भला हो , ओबामा का, स्पर्श न सही, पर इस मर्यादापुरुषोत्तम की वाणी का असर ऐसा होने लगा है कि यूपीए की राजनीतिक बाध्यताओं की दीवारें ढहने लगी हैं। अब अश्वमेध के घोड़ सरपट दौड़ने ही वाले हैं। प्रणव के समर्थन [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
प्रणव को समर्थन न देते तो क्या बीजेपी के प्रत्याशी को जिताते ? Posted: 17 Jul 2012 07:34 AM PDT दिगम्बर सिंह सोवियत संघ जब तक था यानी समाजवादी सोवियत संघ जब तक था, दुनिया पर अमेरिका के नेतृत्व में साम्राज्यवाद का हमला तेज नहीं था. साम्राज्यवादी और पूंजीवादी देशों में भी कल्याणकारी योजनायें लागू करनी पड़ रहीं थीं. सोवियत संघ के बिखरने और वहां समाजवाद के पतन के बाद साम्राज्यवाद का हमला तेज हुआ [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
कविता मेरी मजबूरी, आखिरी हथियार, और मेरे जिंदा होने का आखिरी सबूत है Posted: 17 Jul 2012 06:15 AM PDT चूंकि देश में लोकतंत्र है इसलिए, लोगों को विश्वास नहीं है मुझ पर हिमांशु कुमार मैं यह कविता इसलिए नहीं लिख रहा हूँ क्योंकि मैं सिद्ध करना चाहता हूँ कि मैं आपसे अधिक बुद्धिमान और प्रतिभशाली हूँ और ना इसलिए क्योंकि मैं देखना चाहता हूँ आपकी आँखों में अपने लिये प्रशंसा………… असल में मेरी रुलाई फुटकर [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
Posted: 17 Jul 2012 06:04 AM PDT |
हमारी दुनिया को कई गांधी चाहिए : मानवता पर फ्रांस में विमर्श Posted: 17 Jul 2012 05:08 AM PDT -डाॅ. असगर अली इंजीनियर तुम भगवान को मंदिरों में क्यों ढू़ढ़ते हो। मुझे तो मई की तपती दुपहरी में सड़क किनारे पत्थर तोड़ते मजदूरों में भगवान दिखते हैं किसी से घृणा करना, उसे नुकसान पहुंचाना, उसे मार डालना बहुत आसान है। कठिन है किसी से प्रेम करना और मानवता की रक्षा के लिए दृढ़ता [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
मरने वाले मरते रहें, आप कविता-कहानी करते रहें! Posted: 17 Jul 2012 12:00 AM PDT रंजीत वर्मा पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ आदिवासियों को माओवादी बता कर जब मार रही थी, तो हिंदी साहित्य के एक तबके में इस बात पर चिंता ज़ाहिर की जा रही थी कि भारत भवन का पराभव होने के बावजूद कुछ लेखक उसके आयोजनों में शिरकत क्यों कर रहे हैं। सब कुछ अपने [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
सत्तातंत्र के साथ क्यों खड़ा है मीडिया? Posted: 16 Jul 2012 10:55 PM PDT यह कारपोरेट मीडिया का 'जनतंत्र' है जिसमें आम नागरिकों के मानवाधिकार के साथ सौदा और समझौता संभव है मानवाधिकारों के प्रति मीडिया की उदासी के मायने मानवाधिकार हनन के बढते मामलों में मीडिया और चैनलों की चुप्पी का राज क्या है? आनंद प्रधान “पहले वे यहूदियों के लिए आए मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
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