Tuesday, January 14, 2014

दिल्ली: 'आप' से पहली नजर में ही पहला प्यार हो गया

जेएनयू के प्रोफेसर कमल चिनाय: कहाँ चल दिए?

 

तिब्बत आंदोलन परियोजना के नाम पर अरबों रूपये बटोरने वाले प्रोफेसर आनंद कुमार के राह कदम पर अब जेएनयू के वामपंथी प्रोफेसर कमल चिनाय भी कदम बढ़ा दिए है. बहुत दिनों तक उनसे मेरा ताल्लुकात 'अंतर-राष्ट्रीय विद्यालय से लेकर गंगाढाबा तक और कभी-कभार विट्ठल भाई पटेल हाउस से संसद मार्ग के समक्ष प्रदर्शनों तक सीमित था. अब यह रिश्ता जरा व्यापक हो चला है.    

 

यदि ३० करोड़ की सम्पत्ति की मालकिन शाजिया इल्मी, अपने एनजीओ के लिए विदेशों से अरबों रूपये का चन्दा प्राप्त करने वाले मनीष सिसोदिया, अपने बच्चों की लाखों रूपये की स्कूल फीस जमा करने वाले केजरीवाल, हवाई जहाज से बिजनेश क्लास में यात्रा करने और फाइव स्टार होटलों में रूकने वाले कुमार विश्वास, अरबों की सम्पत्ति के मालिक शान्ति भूषन और उनके सुपुत्र प्रशांत भूषन, एयर डक्कन के मालिक गोपीनाथ ही अगर असली आम आदमी हैं तो मुझे मेरे अपने हाल पर ही छोड़ दो.

 

हालांकि, ऐसा कहते समय हम भाजपा या कांग्रेस में से किसी को भी कोई रियायत देना नहीं चाहते. आप सरकार ने फौरी तौर पे मुफ्त पानी देने, बिजली दर आधी कर देने पर मुझे भी 'आप' से पहली नजर में ही पहला प्यार हो गया था. तिसके बाद  मंत्रियों की 'सुरक्षा-फिजूलखर्ची' रोकने, पूर्ववर्ती सरकारों के मंत्री-ऑफिसर द्वारा लालबत्ती गाड़ी लेकर सड़कों पर हीरोपनि झाड़ने की जगह अब जनता के बीच सादगी से रहने के ऐलान के पंद्रहवें दिन कांग्रेस के पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में बहुब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के एक बड़े फैसले को पलट देने से हमारा प्यार भी गहराता जा रहा है.

 

मगर, प्यार की असली जांच-परख अभी बांकी है. मामला वर्ग-भेद मिटाने का है. बात जब "वर्ग-संघर्ष" की आयेगी तब 'इश्क' की पहचान भी हो जायेगी. वर्ग-भेद पैदा करने के सबसे ज्यादा जिम्मेदार तो दिल्ली का निजी स्कूल है जिसे लोग जाने पब्लिक स्कूल क्यों कहते है? केजरीवाल की 'आप' ने शिक्षा का भी लोगों से वायदा किया है. लेकिन बात है समान शिक्षा-प्रणाली को लागू करने की. इसके लिए निजी स्कूल का राष्ट्रीयकरण करना होगा.

 

इसके अलावा, ठेका-प्रथा की समाप्ति और न्यूनतम वेतनमान के अलावा पेंशन का भी मामला आग की तरह सुलगा हुआ है. मजदूर आंदोलनरत है.

 

तीसरा, दिल्ली में भू-माफिया से भी लड़ना पडेगा जिन्हौने सरकारी जमीन पर कब्जा जमा रखा है. और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए पक्के मकान बनाकर सभी जरूरी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल आदि-आदि की व्यवस्था करना.

 

चौथा, महगाई पर लगाम रखना. वर्ना जनता 'आप' से भी कहेगी तुम मुझे महगाई दो...हम तुम्हे कुर्सी से उतारेंगे. परधानमंत्री महगाई सिंह ने पहले से ही पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाते चले जा रहे है. कांग्रेस जानती है कि हर हाल में इस बार लोकसभा चुनाव जब हारना ही है तो क्यों जमकर महगाई बढ़ा दिया जाय ताकि कंपनी वाले खुश होकर मुह मांगे चन्दा दे दे और चुनाव में जमकर खरीद फरोख्त की जाय. कांग्रेसी पूर्व वित्त मंत्री और वर्त्तमान महामहिम श्री प्रणव 'दा' भी कहत रहा कि "विकास के साथ महगाई" का रसपान तो करना ही होगा...

 

भाई हम भी जानते है कि भारत चीन का बरोबरी नहीं कर सकत है....जहां "महगाई दर न्यूनतम तीन प्रतिशत पर भी विकास छलांग लगावत है." हिया तो महगाई के साथ पूंजीपतियों-बनियों-व्यापारियों-ठीकेदारों-नेताओं-नौकरशाहों" का विकास होत है. आखिर पूंजीपति मुनाफ़ा नहीं बटोरेगा तो स्वीस बैंक में पैसा कैसे जमा होगा भाई?

 

बहरहाल, किसी भी सरकार के अच्छे-बुरे कार्यों की समीक्षा करने से पहले उसे काम करने का भरपूर अवसर दिया जाना चाहिए. जिस दिन दिल्ली में 'आप' की सरकार का गठन किया जा रहा था उसी दिन से भाजपा 'आप' पर 'वादा खिलाफी' का आरोप लगाती चली रही है. 'आप' के नेताओं पर शारीरिक हमले करने के लिए महाराष्ट्र से भाजपा ने गुंडों को बुलाया. आलम तो यह है कि मुजफ्फरनगर दंगा कराने के लिए भी भाजपा ने गुजरात और महाराष्ट्र से ही लगभग २०० गुंडों को बुलाया था.

 

अयोध्या में बाबरी-ध्वंश से लेकर देश में दंगा-फसाद भड़काने, भाजपा विरोधी नेताओं पर हमले कराने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र से गुंडों को बुलाने का धंधा आखिर कब तक चलता रहेगा? दिन-रात राष्ट्रवाद, देशभक्ति का खोखला राग अलापने वाली भाजपा क्या यह नहीं जानती कि पाकिस्तानी मदद प्राप्त 'खालिस्तानी उग्रवादी भिंडरावाले' के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध जगजाहिर रहे है. फिर देश के विभाजनकारियों का समर्थन करने वाले प्रकाश सिंह बादल के साथ कथित राष्ट्रवादी भाजपा के खुल्लम-खुल्ला बहु-अंतरंग सम्बन्ध क्यों है? भाजपा की यह कैसी देशभक्ति, कैसा राष्ट्रवाद है?

 

वाम-जनवादी विचार मंच

No comments:

Post a Comment