कहाँ है चुनाव आयोग?
अंबानी के हेलीकाप्टर पर उड़ने वाले नरेंद्र मोदी अब देश की जनता को बताये कि लखनऊ की रैली के लिए सौ (100) करोड़ रूपये से भी ज्यादा खर्च कर 29 विशेष रेलगाड़ियों, 4500 बसों, 25000 कारों-जीपों, 50 हजार मोटर साइकिलों का इंतजाम कर वहाँ आने वाले लोगों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था करने में जो खर्च हुए है आखिर वह पैसा कहाँ से आ रहा है? जबकि पटना रैली में सत्तर से अस्सी करोड़ रूपये से भी ज्यादा खर्च होने का अनुमान लगाया गया था, इस बार यह रिकार्ड लखनऊ में टूट गया है.
पिछले साल सितम्बर महीने से शुरू किये गए पूरे देश भर में नरेंद्र मोदी की एक-एक रैली पर पचास से सौ (50-100) करोड़ का खर्च कैसे और कहां से किया जा रहा है? रैली के लिए हेलीकाप्टर का खर्च, समाचार प्रसारित करवाने के लिए मीडिया को करोड़ों रूपये देने और सुरक्षा में तैनात गार्डों, पुलिस कर्मियों, पोस्टर-बैनर आदि के वैभवशाली खर्चे को यदि जोड़ा जाय तो खर्च हुए इतने पैसे से तो वैसे ही देश की दरिद्रता, गरीबी, भुखमरी समाप्त की जा सकती थी. खर्च के इस भौड़े प्रदर्शन से क्या किसी चाय बेचने वालों की माली हालत में सुधार हो सकता है, भाजपा को इसका जवाब देना चाहिए.
आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि 'नरेंद्र मोदी की पोशाक, उसके रंग व डिज़ाइन, उसके साज-सज्जा-मेकअप, उसके उठने-बैठने के अंदाज और यहाँ तक कि उसके भाषणों में हाथ-पाँव हिलाने डुलाने से लेकर मुस्कराने तक, परदे के पीछे ड्राइंग रूम में बैठकर कॉर्पोरेट-कंपनी ही सबकुछ तैयार कर रही है.
रिक्शा चालाक यूनियन भागलपुर (बिहार)
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