Saturday, May 31, 2014

बहुत शर्मनाक और जघन्य है बदायूं की घटना. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस्तीफा दे!


 

 

बहुत शर्मनाक और जघन्य है बदायूं की घटना. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस्तीफा दे!

 

उत्तर-प्रदेश में बहुसंख्य दलितों के साथ मुलायम सिंह की पार्टी सपा का सीधा रार है. सपा सरकार प्रदेश में भूमि-सुधार क़ानून को लागू करते हुए भूमिहीन दलितों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती थी इससे सामंतीशाही पर भी लगाम लग सकता था. मगर वोट के लालच में सपा ने सामंतशाही को और ज्यादा प्रोत्साहित ही किया है. उत्तर-प्रदेश में साम्प्रदायिक गुंडागर्दी जातीय विद्वेष आज चरम पर पहुंचा हुआ है.

   

बदायूं की घटना अमानवीय, घृणित और असहनीय है. आमलोगों में इस घटना के विरूद्ध जबरदस्त रोष देखा जा सकता है. बहरहाल, इससे भी कहीं ज्यादा अमानवीय और घृणित है इस पर की जाने वाली राजनीति...

 

इस तरह के कुकृत्यों की सिर्फ एक ही सजा होनी चाहिए मौत और वह भी सार्वजनिकरूप से त्वरित कानूनी प्रक्रिया के ज़रिये... नहीं तो लम्बी और उलझाने वाली कानूनी प्रक्रिया जिसे अंग्रेजों ने ही बनाई हुयी थी, जिसका फायदा अंततः धनिकों, रसूखदारों और मैनुपुलेशन एक्सपर्ट्स को ही पहुँचाती है...जांच, बयान, गवाही,चश्मदीद की गवाही, सबूत और जिरह की लम्बी और हैरेसिंग प्रक्रिया से बार-बार गुज़रते हुए पीड़ित पक्ष धारा और उपधाराओं के चक्रव्यूह में फंस कर ज़ल्दी ही टूट जाता है, और अक्सर अपराधी या तो बच जाता है या फिर किये हुए अपराध की तुलना में कम सजा पाता है...निर्भया काण्ड के बाद क़ानून तो बन गया, पर उसी कानूनी प्रक्रिया के चलते निर्भया काण्ड में जो सबसे ज्यादा क्रूर और हिसक था, उसे नाबालिक होने का आसान सा फायदा मिल गया...हम सब जानते हैं कि सबूतों और गवाहों के आभाव में यहाँ बड़े से बड़ा मुज़रिम बाइज्जत बरी हो जाता है. और सिर्फ बरी ही नहीं होता, साफ़-सफ्फाक होकर कई बार तो हमारे लिए माननीय और सम्माननीय भी बन जाता है. जबकि, दूसरी तरफ, झूठे या नकली गढ़े हुए सबूतों के आधार पर निर्दोषों को वर्षों जेल की सलाखों के पीछे अपनी ज़िंदगी के खूबसूरत पलों को गुज़ारना पड़ता है.

 

आप क्या सोचते है? जिनके अन्दर इतनी दबंगई है कि वे सरेआम सामूहिक बलात्कार कर के लड़कियों के गले में फांसी का फंदा डाल कर पेड़ से लटका सकते हैं, उनके खिलाफ कोई गवाही देने आएगा? और इतनी आसानी से उन दोनों मृत बहनों को और उनके परिवार को इन्साफ मिल पायेगा?...वैसे महिलाओं के ऊपर होने वाले अपराधों के खिलाफ निरंतर एक सशक्त सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अभियान चलाने की सख्त ज़रुरत है.

 

बहरहाल, बदायूं की इस शर्मनाक घटना के लिए, मुजफ्फरनगर समेत उत्तर-प्रदेश के अन्य शहरों में साम्प्रदायिक दंगे को रोकने में विफल होने, और लोकसभा चुनाव में करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अनुसरण करते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए और उसकी जगह किसी दलित या अल्पसंख्यक नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए.

 

वाम-जनवादी विचार मंच

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