भाड़ में जाए बिहार की मांझी सरकार
कितने दुःख और शर्म की बात है...'बिहार में शिक्षकों-कर्मचारियों को अपने पिछले कई महीने के बकाया वेतन भुगतान करने के लिए भी सड़कों पे उतरना पड़ रहा है, जबकि सरकार बहादुर को ३० दिनों तक काम करने के बाद महीना के आखिर में स्वतः वेतन भुगतान कर देना चाहिए था.'
बिहार की कथित समाजवादी (लोहिया-जयप्रकाश नारायण-कर्पूरी ठाकुर-जगदेव सिंह की विरासत वाली) जीतनराम मांझी (दलित) सरकार 'भूमि-सुधार लागू करने के जरिये- तकरीबन अट्ठारह लाख एकड़ सीलिंग से फाजिल तथा गैर-मजरूआ/ बेनामी जमीने (जो मुख्यतः उत्तरी बिहार के नवगछिया स्थित साहू-परबत्ता एस्टेट, कुरसेला एस्टेट, पूर्णियां, धमदाहा, कुमारखंड, मुरलीगंज, मधेपुरा आदि इलाके में फर्जी तरीके से जमींदारो-सामंतों व भू-माफिया सरगनाओं ने जबरन हजारों एकड़ जमीनें हथिया लिया है) को जब्त कर गरीब भूमिहीन दलितों में बाँट सकती है. परन्तु; मांझी सरकार का इरादा पक्का नहीं लगता है 'बासगीत का पर्चा देने और जोत की जमीनें बांटने के बारे में.' उलटे बेलदौर विधानसभा क्षेत्र, खगडिया से जदयू विधायक श्री पन्नालाल सिंह पटेल (जो कभी चापाकल मिस्त्री हुआ करता था) ने पूर्णियां के जमींदार बबुजन मंडल की रामनगर-पनसलवा (बेलदौर) मौजा स्थित सीलिंग से फाजिल जमीन जिस पर तकरीबन पचास साल से भी ज्यादा समय से खेती-बारी करते चले आ रहे दर्जनों गरीब महादलित बटाईदारों को जबरन जमीन से बेदखल कर हड़प लिया. और आज श्री पटेल के पास (श्री नीतीश कुमार भाई की कृपा से) 'पेट्रोल पम्प' और (श्री श्रवण कुमारजी की कृपा से) 'कोल्ड स्टोरेज' वगैरह भी हो गया है. अलबत्ता श्री पटेलजी बीस-बाईस लोगों को ऊपर खुदा के पास भी पहुंचाया है. परन्तु; ठोस साक्ष्य सबूतों के अभाव में उनके बल्ले-बल्ले...
बिहार की कथित महादलित मांझी सरकार ने विभिन्न सरकारी संस्थानों में वर्षों से रिक्त आरक्षित पदों पर बहाली करने की भी कोई योजना नहीं बनायी है. बिजली, शिक्षा/स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में केवल तदर्थ/अस्थायी बहाली के जरिये महज पांच से दस हजार रूपये माह दिहाड़ी पर काम चलाया जा रहा है, और उसका भी समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है जिसके चलते आज बिहार के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी सड़कों पे आन्दोलनरत है.
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