Sunday, May 10, 2015

कम्युनिष्ट पार्टियों का एकीकरण: माकपा महासचिव का. सीताराम येचुरी का ‘ऐतिहासिक प्रस्ताव’ स्वागत योग्य है.

कम्युनिष्ट पार्टियों का एकीकरण: माकपा महासचिव का. सीताराम येचुरी का
'ऐतिहासिक प्रस्ताव' स्वागत योग्य है.



अब वक्त आ गया है कि संकटग्रस्त 'आवारा वैश्विक वित्तीय पूंजीवाद' और
'दक्षिणपंथी हिंदुत्व-फासीवाद' को निर्णायकरूप से पराजित करने के लिए
'भारतीय मेहनतकशों व मजदूरवर्ग' के बीच व्यापक एकता के हक में देश के
विभिन्न कम्युनिष्ट पार्टियों और उसके मातहत विभिन्न जनसंगठनों को आपस
में विलय कर एक राजनीतिक छतरी के नीचे आ जाना चाहिए.



ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि, आजादी के फौरन बाद भारतीय शासक-शोषकवर्ग
'सामंत-पूंजीपतियों के नेतृत्व में 'राजसत्ता के वर्गीय चरित्र';
जनवादी-क्रान्ति के चरण'; और अंतरराष्ट्रीय कम्युनिष्ट आंदोलन में सोवियत
कम्युनिष्ट पार्टी और चीन की कम्युनिष्ट पार्टियों के बीच के रणनीतिक
मतभेदों के चलते भारतीय कम्युनिष्टों के बीच स्वाभाविकरूप से उभरे
केंद्रीय अंतर्विरोधों के चलते कम्युनिष्ट पार्टी के विभाजन के लिए जो
"वैचारिक अंतर्विरोध" जिम्मेदार थे वही आज प्रासंगिक नहीं रह गए है.



आज के मौजूदा वस्तुगत परिस्थियों के मद्दे नजर "कम्युनिष्ट पार्टियों के
एकीकरण" के लिए माकपा महासचिव का. सीताराम येचुरी का प्रस्ताव निश्चय ही
स्वागत योग्य कदम है. भारत में 'कम्युनिष्ट-एकीकरण' अगर ठोस शक्ल
अख्तियार करता है तो इससे मजदूरवर्ग के नेतृव में जनांदोलनों में नई
स्फूर्ति/नयी ऊर्जा का संचार होगा. भाकपा माले को मार्क्सवादी
पूर्वाग्रहों से बचते हुए माकपा के "एकीकरण प्रस्ताव" पर गम्भीरतापूर्वक
पार्टी के अंदर बहस कराना चाहिए...



ए. सी. प्रभाकर

निदेशक, तीसरी दुनियां का सामाजिक नेटवर्क्स


Dr. A.C.Prabhakar
Associate Editor of International Journal of Asian Social Sciences
Senior Lecturer in Development Economics
Department of Economics
School of Economics, Finance & Banking
College of Business
Universiti Utara Malaysia
06010 Sintok, Kedah
Malaysia

Phone: +60 175221803 (Mobile)
: +604 928 6857 (Off.)

Email: acpjnu@gmail.com

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