Tuesday, October 4, 2016

[workingclass] मज़दूर बिगुल का अगस्‍त-सितम्‍बर 2016 अंक

प्रिय साथी, 'मज़दूर बिगुल' टीम की कुछ व्‍यस्‍तताओं के कारण अगस्‍त-सितम्‍बर अंक संयुक्‍तांक के रूप में निकल रहा है। ऑनलाइन अपलोड करने में भी इस बार देरी हो गयी है। इसकेे लिए हमें खेद है। इस अंक पर आपकी प्रतिक्रियाओं की हमें प्रतीक्षा रहेगी। अगर आप बिगुल के वार्षिक सदस्‍य हैं और आपको डाक से अख़बार नहीं मिल रहा है तो हमें जरूर सुचना दें। साथ ही अपने निकटतम डाकघर में एक शिकायत भी दर्ज करवा दें। 
अगर आप व्‍हाटसएप्‍प के माध्‍यम से बिगुल पाना चाहते हैं तो 9892808704 नम्‍बर को अपनी फोनबुक में सेव करें व इसी नम्‍बर पर व्‍हाटसएप्‍प से अपने नाम व जगह का एक संदेश भेज दें।
इंकलाबी सलाम के साथ 
मज़दूर बिगुल टीम

 (मज़दूर बिगुल के अगस्‍त-सितम्‍बर 2016 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)

thumbnail-bigul-2016-08-09

 

सम्पादकीय

2 सितम्बर की हड़ताल जैसे वार्षिक अनुष्ठानों से क्या होगा? पूँजीवादी मुनाफे का चक्का जाम करने के लिए मज़दूरों को अपनी एकता को मज़बूत कर लम्बी लड़ाई लड़नी होगी!

अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

दाल की बढ़ती कीमतों की हक़ीक़त / श्‍वेता

श्रम कानून

कारखाना (संशोधन) विधेयक 2016: "अच्छे दिनों" में मज़दूरों को एक और सौगात ! मज़दूरों से किये वायदों को पूरा करने के बजाय एक बार फिर मोदी सरकार ने भोंका मज़दूरों की पीठ में छुरा! / सिमरन

फासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

सारण (बिहार) में साम्प्रदायिक उत्पात / चन्‍दन कुमार मिश्र

विशेष लेख / रिपोर्ट

अरब देशों में भारतीय मज़दूरों की दिल दहला देने वाली दास्तान / आनन्‍द सिंह

संघर्षरत जनता

होंडा मज़दूरों का संघर्ष जारी है! दिल्ली में जंतर-मंतर पर शुरू हुई अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

होंडा के मजदूरों के समर्थन में गोरखपुर में विरोध प्रदर्शन

महान शिक्षकों की कलम से

मार्क्स की 'पूँजी' को जानिये : चित्रांकनों के साथ (छठी किस्त) / ह्यूगो गेलर्ट

समाज

अभी भी पंजाब में लड़कियों के साथ भेद-भाव बड़े स्तर पर जारी / रोशन

सिर पर छत की ख़ातिर नैतिकता की नीलामी के लिए मजबूर लोग / बलजीत

बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका

पंजाब सरकार एक और काला कानून 'पकोका' लाने की तैयारी में / बिन्‍नी

साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद

साम्राज्यी युद्धों की भेंट चढ़ता बचपन / सिकंदर

स्वास्‍थ्‍य

पूँजीवाद और स्वास्थ्य सेवाओं की बीमारी / डॉ. नवमीत

बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ

जनता की बदहाली के दम पर दिनों-दिन बढ़ रही है भारत के धन्नासेठों की आमदनी / मानव

औद्योगिक दुर्घटनाएं

वज़ीरपुर की फैक्ट्रियों में एक दिन में दो मज़दूरों की मौत! हमारी लाशों पर मालिकों के आलीशान बंगले और गाड़ियां खड़ी हैं! सुरक्षा के इंतज़ाम हासिल करने की लड़ाई मज़बूत करो! यूनियन के सुरक्षा इंतज़ाम अभियान को मजबूत करो!

वज़ीरपुर के मौत और मायूसी के कारखानों में लगातार बढ़ते मज़दूरों की मौत के मामले! श्रम कानूनों का नंगा उल्लंघन, मालिक और प्रशासन की मिलीभगत की बलि चढ़ते मज़दूर! / सिमरन

मज़दूर बस्तियों से

मज़दूर इलाक़े में मज़दूर साथियों के साथ के कुछ अनुभव / शिवार्थ

'मज़दूर बिगुल' के बारे में मज़दूर परिवार की एक बच्ची के विचार / कोमल, पांचवी कक्षा, सरकारी स्कूल, ताजपुर रोड, लुधियाना

गतिविधि रिपोर्ट

राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक क्रान्ति को अलग-अलग करके देखना अवैज्ञानिक है

शहीद ऊधमसि‍ंह पार्क में शहीदों के सपनों को पूरा करने का संकल्प लि‍या


कला-साहित्य

असग़र वजाहत की कहानी ज़ख्‍़म के कुछ अंश

 

'मज़दूर बिगुल' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0076200 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि 'मज़दूर बिगुल' लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।

 

 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन










'मज़दूर बिगुलका परिचय

मित्रो,

'मज़दूर बिगुलदेश की उस 80 करोड़ मेहनतकश आबादी की आवाज़ है जिन तक मुख्‍यधारा के मीडिया की निगाहें कभी पहुँचती ही नहीं। यह इस देश के मेहनतकशों की ज़ि‍न्‍दगीउनके सपनों और संघर्षों की तस्‍वीर पेश करता हैऔर मेहनतकशोंसंवेदनशील युवाओं और जागरूक नागरिकों के सामने इस दमघोंटू अन्‍यायपूर्ण सामाजिक ढाँचे का विकल्‍प पेश करता हैअपने हक़ों के लिए लड़ने और जीतने के लिए ज़रूरी ज्ञान और समझ से उन्‍हें लैस करने की कोशिश करता है। पूँजीवादी मीडिया की लीपापोती और पर्देदारी को भेदकर यह देश और दुनिया की तमाम महत्‍वपूर्ण आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक घटनाओं का बेबाक विश्‍लेषण प्रस्‍तुत करता है और निराशा के बादलों को चीरकर उम्‍मीद और हौसले की रोशनी दिखाने वाली साहित्यिक और वैचारिक कृतियों से उन्‍हें परिचित कराता है। अगर आप हर महीने 'मज़दूर बिगुलप्राप्‍त नहीं कर रहे हैंतो आप इस महादेश के अतीतवर्तमान और भविष्‍य के बेहद ज़रूरी पहलुओं को जानने से ख़ुद को वंचित कर रहे हैं।

अगर आप ये मेल भविष्‍य में नही प्राप्‍त करना चाहते तो नीचे दिये गये अनसब्‍सक्राइब बटन पर क्लिक करें।

Unsubscribe

 

Introduction of 'Mazdoor Bigul'

Friends,

Mazdoor Bigul is the voice of the 800 million toiling population of our country which remains unseen by the mainstream media. It brings before us the lives, dreams and struggles of the toiling masses and presents an alternative to this suffocating, unjust social order before the working people, sensitive youth and conscious citizens. It strives to arm them with the necessary knowledge and understanding to fight for and win their rights. It exposes the camouflaging and whitewashing of reality by the corporate media and presents a truthful analysis of important economic-social-political events and trends in the country and world.  It introduces them to literary and ideological writings that drive away gloomy clouds of despair and instill hope and courage to strive for a better world. You are depriving yourself from knowing extremely important aspects of the past, present and future of this great country if you are not getting Mazdoor Bigul each month.

 

If you wish not to receive monthly epaper by mail then please unsubscribe using this link.

Unsubscribe

No comments:

Post a Comment