Friday, November 4, 2022

यूपी के सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही पर सरकारी वाहनों के दुरुपयोग का आरोप.


 


लखनऊ / शुक्रवार, 04 नवम्बर 2022 ………………………

आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे की राजधानी लखनऊ स्थित सूचना आयोग में कार्यरत आयुक्तों में से एक हर्षवर्धन शाही द्वारा आयोग के जनसूचना अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी को लिखे एक पत्र ने आरटीआई के हलके में हलचल मचा दी है. दरअसल मामला स्थानीय राजाजीपुरम निवासिनी तेजतर्रार समाजसेविका उर्वशी शर्मा की उस आरटीआई अर्जी से जुड़ा है जिससे डरे सूचना आयुक्त हर्षवर्धन को मजबूरन प्रशासनिक अधिकारी को बाकायदा पत्र लिखकर उर्वशी या अन्य किसी भी व्यक्ति को उनसे सम्बंधित सूचना नहीं देने की बात कहनी पड़ गई है.   

 

 

उर्वशी बताती हैं कि उन्होंने सूचना आयोग में एक आरटीआई अर्जी देकर 7 बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी. बकौल उर्वशी अपने आरटीआई आवेदन के बिंदु संख्या 4 पर उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही को आबंटित सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियां मांगी थी जिसके सम्बन्ध में शाही ने लिखा है कि उनके वाहनों की लॉग-बुक्स की सूचना उनकी निजता से सम्बंधित हैं और इस सूचना के सार्वजनिक होने से उनकी सुरक्षा को खतरा हो जाएगा और इसलिए ये जानकारी उर्वशी अथवा अन्य किसी भी व्यक्ति को नहीं दी जाए.

 

 

शाही के इस पत्र के मजमून पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए देश की नामचीन एक्टिविस्ट्स में शुमार उर्वशी कहती हैं कि सरकारी खजाने से चलने वाले सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स सार्वजनिक दस्तावेज हैं और इससे पहले वे आयोग के वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह के सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ आरटीआई में प्राप्त कर चुकी हैं.

 

 

भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश आरटीआई प्रकोष्ठ की पूर्व उपप्रभारी रहते हुए सपा सरकार के बड़े-बड़े घोटालों को उजागर कर चुकी उर्वशी बताती हैं कि हर्षवर्धन शाही द्वारा सरकारी वाहनों का दुरुपयोग करने की शिकायतें मोबाइल हेल्पलाइन 8081898081 पर प्राप्त होने पर ही उन्होंने शाही के सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ आरटीआई में मांगी थी.

 

उर्वशी का कहना है कि सूचना आयोग आने-जाने के अतिरिक्त यदि सूचना आयुक्त और कहीं जाते हैं तो प्रोटोकॉल के तहत अपने कार्यक्रम निर्धारित करके जाते हैं और इन कार्यक्रमों के संपन्न हो जाने के बाद उनमें गोपनीय जैसा कुछ भी नहीं होता है. उर्वशी ने यह भी कहा है कि जो यात्राएं भूतकाल में हो चुकी हैं उनकी सूचनाएं सार्वजनिक होने से किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरे जैसी कोई बात हो ही नहीं सकती हैं क्योंकि कोई भी भूतकाल में जा ही नहीं सकता है. मुख्य सूचना आयुक्त भवेश द्वारा अपने सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ दे देने और शाही द्वारा अपने सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ देने से मना करने के लिए कही हुई बातों को ऊल-जलूल बहानेबाजी बताते हुए इन आधारों पर उर्वशी ने शाही को सरकारी वाहनों के दुरुपयोग के लिए आरोपित करते हुए सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ को शिकायत भेजकर गहन जांच करवाने की बात कही है.

 

 

बकौल उर्वशी सूचना आयुक्त का काम अधिक से अधिक सूचना दिलवाना है लेकिन शाही द्वारा जनता के टैक्स के पैसों से चलने वाली सरकारी गाड़ियों का स्वयं द्वारा किया गया दुरुपयोग छुपाने के लिए सूचना देने से बचकाने आधारों पर मना करना उनका कदाचार है जिसके लिए वे सूबे की राज्यपाल को शिकायत भेजकर शाही के खिलाफ सूचना कानून की धारा 17 के तहत कार्यवाही शुरू करके शाही को बर्खास्त करने की मांग भी करेंगी.  

 

 


Saturday, July 20, 2019

RTI संशोधन विधेयक 2019 के जरिये आयोगों को बंधक बनाकर एक्ट को समाप्त करने की साजिश कर रही मोदी सरकार : उर्वशी शर्मा



लखनऊ / 20 जुलाई 2019 …………
भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा बीते कल लोकसभा में सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 पेश करने के बाद यूपी के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूबे की नामचीन आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की अगुआई में लामबंद होकर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया है l  बताते चलें कि इस विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों व राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे।



उर्वशी की अगुआई में इकट्ठे हुए एक्टिविस्टों का कहना है कि इस विधेयक को लाने से पारदर्शिता के सवाल पर वर्तमान केंद्र  सरकार की प्रतिबद्धता पर सवालिया निशान लग गया है l एक्टिविस्टों ने मोदी सरकार पर न्यूनतम पारदर्शिता और अधिकतम सरकार के सिद्धांत के आधार पर काम करने का आरोप भी लगाया है l  



एक्टिविस्टों की अगुआई कर रही समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने बताया कि उन्होंने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर अवगत कराया है कि यदि यह  विधेयक कानून बन गया तो आरटीआई अधिनियम का  संस्थागत स्वरूप नष्ट हो जाएगा l बकौल उर्वशी सरकार का यह प्रयास है  कि सूचना आयोगों का अपना बंधक बनाकर इनकी स्वायत्तता समाप्त की जाए और आरटीआई एक्ट की व्यवस्थाओं को अव्यवस्थित करके ऐसे हालात बना दिए जाएँ कि सूचना का  अधिकार देश के नागरिकों को कोई परिणाम न दे सके l उर्वशी के अनुसार इस विधेयक के कानून बन जाने से आरटीआई का ढांचा सम्पूर्ण रूप से कमजोर होगा और यह विधेयक सूचना आयोगों की स्वतंत्रता को समाप्त करके सूचना आयुक्तों को अपने इशारों पर नचाने के  प्रशासनिक उद्देश्य से लाया गया है।



एक विशेष बातचीत में लखनऊ निवासी एक्टिविस्ट उर्वशी ने बताया कि अब तक  मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति 5 साल के लिए होती है लेकिन यदि यह विधेयक कानून बन जाता है तो केन्द्रीय और राज्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल होगा या कितना होगा इसका फैसला केंद्र सरकार करेगी l पहले मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की सेवा की शर्तें चुनाव आयुक्तों के समान होती थीं लेकिन अब शर्तें बदली जाएंगी l  केंद्र सरकार सूचना आयोगों की स्वायत्ता और स्वतंत्रता को समाप्त करके इस संवैधानिक संस्था को कानूनी संस्था बनाने जा रही है जो सही नहीं है l मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है। ।

उर्वशी ने बताया कि इससे पहले साल 2018 में  भी केंद्र सरकार सूचना आयुक्तों के कार्यकाल, वेतन और अन्य भत्तों को नियंत्रित करने के लिए बिल लाई थी लेकिन उन जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुखर विरोध के बाद आने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र इसे इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था लेकिन अब  प्रस्तावित संशोधन विधेयक 2019 के जिन्न को फिर से जिन्दा करके मोदी सरकार  शक्तियों को केन्द्र सरकार के पास केन्द्रित करने की साजिश कर रही है जिससे भारत का संघीय ढांचा कमजोर होगा l

संशोधित विधेयक को आरटीआई कानून से प्रभावित होने वाले और जुड़े हुए लोगों के बीच विचार-विमर्श के लिए नहीं रखे जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए विधेयक को लोक सभा के पटल पर इस प्रकार रखे जाने को केंद्र सरकार की पूर्व-विधान परामर्श नीति का उल्लंघनकारी होने की बात भी उर्वशी द्वारा भेजे गए ज्ञापन में लिखी गई है l उर्वशी के अनुसार प्रस्तावित संशोधन विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 से मिले चुनाव आयुक्तों के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह सूचना आयोगों  को अन्य ट्रिब्यूनलों से अलग माने l


उर्वशी ने बताया कि उन्होंने मांग की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि यह विधेयक कानून न बनने पाए l उर्वशी ने बताया कि वे देश भर के आरटीआई एक्टिविस्टों के संपर्क में हैं और यदि केंद्र सरकार ने इस विधेयक पर अपने कदम जल्द ही बापस नहीं खींचे तो एक देशव्यापी जनांदोलन चलाकर मोदी सरकार के इस जनविरोधी कदम का चहुमुंखी पुरजोर विरोध किया जाएगा l


Thursday, October 11, 2018

यूपी : आरटीआई एक्ट की 13वीं सालगिरह पर राजधानी में होगा जनजागरूकता कार्यक्रम l

लखनऊ/11 अक्टूबर 2018 ..............

पूरे देश के सभी सरकारी कार्यालयों के कामकाज में पारदर्शिता लाने और सभी सरकारी कर्मचारियों की जबाबदेही का निर्धारण करने के लिए 12 अक्टूबर 2005 को  लागू हुआ सूचना का अधिकार अधिनियम समयपथ पर 13 साल की दूरी पार  करके 14वें साल में प्रवेश करने जा  रहा है l आरटीआई एक्ट की सालगिरह का जश्न मनाने के लिए यूपी की राजधानी स्थित सामाजिक संस्था ‘सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन’ आगामी 13 अक्टूबर को लखनऊ के हजरतगंज जीपीओ के पास स्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल पार्क परिसर में दोपहर 12 बजे से एक निःशुल्क जनजागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही  है l इस बात की जानकारी देते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ला ने बताया कि कार्यक्रम में आरटीआई गाइड और नियमावली का निःशुल्क वितरण भी किया जाएगा l



एसोसिएशन की संरक्षिका और देश की नामचीन समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने बताया कि विगत दिनों यूपी में कई आरटीआई कार्यकर्ताओं की ह्त्या हुई है और कई को षड्यंत्र के तहत झूंठे आपराधिक मामलों में फंसाया गया है l बकौल उर्वशी कार्यक्रम के उद्घाटन से पूर्व मृत आरटीआई कार्यकर्ताओं की आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखा जाएगा और कार्यक्रम के पश्चात सूबे के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आरटीआई कार्यकर्ताओं की ह्त्याओं के मामलों की और षड्यंत्र के तहत झूंठे आपराधिक मामलों में फंसाए गए आरटीआई कार्यकर्ताओं के प्रकरणों की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग की जायेगी l



कार्यक्रम में सूबे के मूर्धन्य आरटीआई कार्यकर्ताओं के शिरकत करने की बात भी अशोक कुमार शुक्ला ने कही है l 


Thursday, August 9, 2018

सुरक्षा से खिलबाड़ कर राजधानी के नाका हिंडोला थाने के सामने चल रहे होटल अर्जुन इंटरनेशनल पर कसा फायर डिपार्टमेंट और एलडीए का शिकंजा : एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की शिकायत पर हुई कार्यवाही l









लखनऊ / 09 अगस्त 2018 .....................

बीते जून महीने में यूपी की राजधानी लखनऊ के चारबाग क्षेत्र स्थित होटल एसएसजे और होटल विराट में लगी भीषण आग में हुई मौतों के बाद लखनऊ का अग्निशमन विभाग और लखनऊ विकास प्राधिकरण मानकों के खिलाफ चलाये जा रहे होटलों के खिलाफ सख्त हो गया है l ताजा मामला राजधानी के नाका हिंडोला थाने के सामने चल रहे होटल अर्जुन इंटरनेशनल का सामने आ रहा है l लखनऊ स्थित नामचीन समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा होटल अर्जुन इंटरनेशनल के मालिकों और प्रबंधन पर सुरक्षा से खिलबाड़ करके होटल संचालित करने का  आरोप लगाने वाली शिकायतों पर सख्त रुख अपनाते हुए  जहाँ एक तरफ लखनऊ के  मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने होटल की ढांचागत सुरक्षा और अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था में दर्जन भर से अधिक खामियां सामने रख दी हैं तो वहीं दूसरी तरफ लखनऊ विकास प्राधिकरण  के जोन 6 के अधिशासी अभियंता ने होटल से मानचित्र और अन्य साक्षीय रिकॉर्ड लेकर जांच बैठा दी है l



समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने बताया कि उनको शिकायत मिली कि होटल अर्जुन इंटरनेशनल के स्वामी ने आवासीय और व्यवसायिक मिश्रित भू उपयोग के लिए एलडीए से पास कराये गए नक़्शे को पूरी तरह से धता-बताकर अवैध रूप से मनमाना निर्माण कराया गया और एक ऐसी बिल्डिंग में होटल के साथ-साथ रेस्टोरेंट का व्यवसाय शुरू कर दिया गया जो ढांचागत सुरक्षा और अग्निशमन सुरक्षा के मामले में पूरी तरह से असुरक्षित था l बकौल उर्वशी लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी की रिपोर्ट में यह बात खुलकर सामने आ गई है कि होटल अर्जुन इंटरनेशनल होटल और रेस्टोरेंट चलाने के लिए पूरी तरह असुरक्षित है और यहाँ कभी भी कोई भी गंभीर हादसा हो सकता है l

उर्वशी ने बताया कि अग्निशमन विभाग की जांच रिपोर्ट  के अनुसार लगभग 20 मीटर की ऊंचाई वाला भूतल के आलावा 5 तलों वाला इस होटल के हरेक तल का कवर्ड एरिया लगभग 200 वर्ग मीटर है l होटल की बिल्डिंग में जीरो सेटबैक होने और केवल एक  मीटर चौड़ाई के एक ही जीना होने की बात कहते हुए उर्वशी ने इन दो आधारों पर भवन को अवैध रूप से निर्मित ढांचागत रूप से अति-असुरक्षित बताया है l भवन में पानी का भूमिगत टैंक नहीं होने, टेरेस टैंक मानक से एक चौथाई होने, सम्पूर्ण भवन में स्प्रिंकलर व्यवस्था नहीं होने,बिजली का वैकल्पिक स्रोत नहीं होने,होटल भवन के बेसमेंट में रेस्टोरेंट चलाने और हरेक शिफ्ट में 8 फायर प्रशिक्षित स्टाफ की कमी के साथ साथ दर्जन भर से अधिक खामियों की बात मुख्य अग्निशमन अधिकारी की रिपोर्ट से सामने आई है l

लखनऊ विकास प्राधिकरण  के जोन 6 के अधिशासी अभियंता ने उर्वशी को पत्र भेजकर बताया है कि उनकी शिकायत पर होटल से मानचित्र और अन्य साक्षीय रिकॉर्ड लेकर जांच बैठा दी गई है l उर्वशी ने बताया कि वे जल्द ही एलडीए के उपाध्यक्ष से मिलकर मांग करेंगी कि जांच लंबित रहने के दौरान अवैध रूप से बने और ढांचागत रूप से असुरक्षित होटल अर्जुन इंटरनेशनल को तत्काल सील कराया जाए और अन्य बिन्दुओं के साथ-साथ मुख्यतः यह देखा जाए कि शून्य सेटबैक वाली इस बिल्डिंग का निर्माण कैसे हो गया और बिल्डिंग के अवैध निर्माण को चिन्हित करके  तत्काल ध्वस्त कराया जाए l


Sunday, August 5, 2018

लखनऊ,हुसैनगंज के होटल न्यू डायमंड का सञ्चालन बंद करने का आदेश :एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की शिकायत पर सीओ कैसरबाग और अग्निशमन विभाग ने की बड़ी कार्यवाही l







लखनऊ/05 अगस्त 2018.....................

यूपी की राजधानी का एक और होटल बिना मानकों के चलता पाया गया है l लखनऊ के व्यस्ततम चौराहों में से एक हुसैनगंज चौराहे के पास हीवेट रोड पर स्थित होटल न्यू डायमंड में ढांचागत सुरक्षा और अग्निशमन सुरक्षा से सम्बंधित मानक पूरे न होने के कारण लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी के बाद अब कैसरबाग़ के पुलिस क्षेत्राधिकारी ने भी होटल न्यू डायमंड का सञ्चालन बंद करने का आदेश दे दिया है l होटल के खिलाफ यह बड़ी कार्यवाही शहर की नामचीन समाजसेविका उर्वशी शर्मा की शिकायत पर हुई जांच के बाद की गई है l


बताते चलें कि एक्टिविस्ट उर्वशी की शिकायत के बाद लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी ए. बी. पाण्डेय ने होटल की जांच कराई थी l अग्निशमन विभाग की इस जांच के दौरान होटल स्वामी मुबारक अली, अफजाल अहमद और शमशाद अहमद होटल भवन का स्वीकृत मानचित्र नहीं दिखा पाए थे l उन्नीस  मीटर ऊंचाई के होटल का भवन भूतल के अतिरिक्त 5 तलों का निर्मित पाया गया  जिसमें प्रत्येक तल का कवर्ड एरिया 118 वर्ग मीटर था लेकिन भवन में सेटबैक शून्य पाया गया  जिसकी बजह से भवन होटल सञ्चालन के लिए असुरक्षित था    lयही नहीं , 5 मंजिला  भवन में  केवल एक जीना पाया गया और वह भी मात्र 1 मीटर चौड़ाई का , जिसके कारण आग लगने की स्थिति में इस होटल का लाक्षागृह बनना तय था   l  सेट बैक और जीना मानकों के अनुसार न होने पर कड़ी आपत्ति करते हुए अग्निशमन अधिकारी ने होटल की ढांचागत सुरक्षा को असुरक्षित बताया और खामियां दूर किये बिना होटल सञ्चालन नहीं करने की अनुशंषा कर दी l अग्निशमन अधिकारी ने होटल की ढांचागत सुरक्षा और अग्निशमन सुरक्षा की 15 खामियां बताते हुए होटल मालिकों को नोटिस भेजकर ढांचागत सुरक्षा और अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त होने तक होटल बंद करने का नोटिस भेजा l



समाजसेविका उर्वशी ने  अग्निशमन विभाग की यह रिपोर्ट लखनऊ के एसएसपी को भेजी थी जिस पर जांच की गई और अब सीओ कैसरबाग़ अमित कुमार राय ने भी पाया कि होटल मालिकों द्वारा खामियां दूर नहीं की गईं और असुरक्षित भवन में ही होटल चलाया जा रहा है और बीती 31 जुलाई को आदेश जारी कर दिया है कि जब तक होटल न्यू डायमंड में ढांचागत सुरक्षा और अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट के हिसाब से नहीं हो जाती है तब तक के लिए होटल को बंद कर दिया जाए l



उर्वशी ने बताया कि अब वे लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर मांग करेंगी कि होटल स्वामी मुबारक अली, अफजाल अहमद और शमशाद अहमद को नोटिस जारी करके होटल भवन का स्वीकृत मानचित्र माँगा जाए और स्वीकृत मानचित्र के सापेक्ष वास्तविक निर्माण की जांच करके होटल मालिकों द्वारा किये गए अवैध निर्माण को ध्वस्त कराया जाए ताकि होटल की ढांचागत व्यवस्था मानकों के अनुरूप हो सके और होटल में ढांचागत असुरक्षा की बजह से अनहोनी दुर्घटना न होने पाए तथा होटल में रहने वाले यात्रियों का जीवन सुरक्षित रहे l 

Tuesday, July 31, 2018

लखनऊ : जालसाजी मामले में न्यायालय ने लौटाई पुलिस की फाइनल रिपोर्ट, पारा थानाध्यक्ष को दिया पॉलीटेक्निक प्रवक्ता के खिलाफ अग्रिम विवेचना का आदेश l

थाना पारा में आईपीसी की धारा 420/467/468/471/167 में दर्ज मुक़दमे की आरोपी राजकीय जी. बी.पन्त पॉलिटेक्निक की अंगरेजी की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला के खिलाफ न्यायालय की बड़ी कार्यवाही l



लखनऊ / 31 जुलाई 2018 ...................... 
लखनऊ के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम की अदालत ने राजधानी लखनऊ की मोहान रोड स्थित राजकीय जी. बी. पन्त पॉलिटेक्निक में अंगरेजी के प्रवक्ता पद पर काम कर रही श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला द्वारा की गई जालसाजी के मामले में कड़ी कार्यवाही की है और लखनऊ के थाना पारा द्वारा भेजी गई फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकार कर बापस लौटा दिया है और  थानाध्यक्ष को मामले की अग्रेत्तर विवेचना कराने का आदेश दिया है l अदालत ने यह कार्यवाही लखनऊ पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ नामचीन समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा द्वारा दायर किये गए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र का निस्तारण करते हुए दिया है l

एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि राजधानी के मोहान रोड स्थित समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश की शैक्षणिक संस्था राजकीय गोविंद बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक में कार्यरत  अँग्रेज़ी भाषा की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला द्वारा छल, कपट, कूटरचना, जालसाजी जैसे संगीन अपराध करने की बात पता चलने पर उन्होंने साल 2015 की 21 मार्च को अभियुक्ता श्रद्धा सक्सेना के खिलाफ  भारतीय दंड विधान की धारा 420/467/468/471/167 में एफआईआर संख्या 113/2015 दर्ज  कराई थी l बकौल उर्वशी पुलिस ने इस मामले में कोई जांच नहीं की और श्रद्धा से घूस खाकर मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी l उर्वशी बताती हैं कि पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ उन्होंने अदालत में प्रोटेस्ट अर्जी दी और अपनी लिखित बहस दाखिल की l पुलिस की जांच रिपोर्ट की खामियों के सम्बन्ध में उर्वशी की लिखित बहस में उठाये गए बिन्दुओं को सही पाते हुए अदालत ने बीती 19 जुलाई को आदेश पारित करके पुलिस की अंतिम रिपोर्ट बापस लौटा दी है और थानाध्यक्ष पारा को अग्रेत्तर विवेचना कराकर आख्या अदालत में पेश करने का आदेश दिया है l अदालत ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि मामले में न तो मुक़दमे की वादिनी समाजसेविका उर्वशी शर्मा का वयान लिया गया और न ही मामले से सम्बंधित सुसंगत साक्ष्यों का संकलन करने के लिए कोई कार्यवाही ही की गई है l


अपनी वेबाक राय के लिए प्रसिद्द उर्वशी कहती हैं कि आदिकाल से ही भारतीय समाज में अध्यापकों को उच्च आदर्शों का पोषक माना गया है परंतु समय के साथ इस दिशा में क्षरण होता गया है और अब   स्थिति यह  गयी है कि आज अध्यापक भी सामान्यतया   सोचे जाने बाले जघन्यतम अपराधों के आरोपी बन रहे हैं l समाज कल्याण द्वारा समाज के वंचित वर्ग के छात्र-छात्राओं को समाज की मुख्यधारा में लाने उद्देश्य से यूपी में  संचालित इस एकमात्र पॉलीटेक्निक की एक महिला अध्यापिका द्वारा इस प्रकार के जघन्यतम अपराध  करने और फिर अपराधों के दण्ड से बचने के लिए पुलिस को घूस खिलाने  को श्रद्धा द्वारा की गई एक और अतिरिक्त अपराधिक वारदात बताते हुए उर्वशी ने इस मामले में समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर श्रद्धा  को तत्काल निलंबित कर उसके विरुद्ध विभागीय नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की माँग करने की बात कही है  l  


उर्वशी ने बताया कि वे शीघ्र ही लखनऊ के एसएसपी से मिलकर मामले में अंतिम रिपोर्ट लगाने वाले घूसखोर विवेचकों  के खिलाफ FIR लिखाकर विधिक कार्यवाही कराने और विभागीय कार्यवाही कराकर प्रशासनिक दण्ड देने की मांग भी करेंगी l