लखनऊ / शुक्रवार, 04 नवम्बर 2022 ………………………
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे की राजधानी लखनऊ स्थित सूचना आयोग में कार्यरत आयुक्तों में से एक हर्षवर्धन शाही द्वारा आयोग के जनसूचना अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी को लिखे एक पत्र ने आरटीआई के हलके में हलचल मचा दी है. दरअसल मामला स्थानीय राजाजीपुरम निवासिनी तेजतर्रार समाजसेविका उर्वशी शर्मा की उस आरटीआई अर्जी से जुड़ा है जिससे डरे सूचना आयुक्त हर्षवर्धन को मजबूरन प्रशासनिक अधिकारी को बाकायदा पत्र लिखकर उर्वशी या अन्य किसी भी व्यक्ति को उनसे सम्बंधित सूचना नहीं देने की बात कहनी पड़ गई है.
उर्वशी बताती हैं कि उन्होंने सूचना आयोग में एक आरटीआई अर्जी देकर 7 बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी. बकौल उर्वशी अपने आरटीआई आवेदन के बिंदु संख्या 4 पर उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही को आबंटित सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियां मांगी थी जिसके सम्बन्ध में शाही ने लिखा है कि उनके वाहनों की लॉग-बुक्स की सूचना उनकी निजता से सम्बंधित हैं और इस सूचना के सार्वजनिक होने से उनकी सुरक्षा को खतरा हो जाएगा और इसलिए ये जानकारी उर्वशी अथवा अन्य किसी भी व्यक्ति को नहीं दी जाए.
शाही के इस पत्र के मजमून पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए देश की नामचीन एक्टिविस्ट्स में शुमार उर्वशी कहती हैं कि सरकारी खजाने से चलने वाले सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स सार्वजनिक दस्तावेज हैं और इससे पहले वे आयोग के वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह के सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ आरटीआई में प्राप्त कर चुकी हैं.
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश आरटीआई प्रकोष्ठ की पूर्व उपप्रभारी रहते हुए सपा सरकार के बड़े-बड़े घोटालों को उजागर कर चुकी उर्वशी बताती हैं कि हर्षवर्धन शाही द्वारा सरकारी वाहनों का दुरुपयोग करने की शिकायतें मोबाइल हेल्पलाइन 8081898081 पर प्राप्त होने पर ही उन्होंने शाही के सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ आरटीआई में मांगी थी.
उर्वशी का कहना है कि सूचना आयोग आने-जाने के अतिरिक्त यदि सूचना आयुक्त और कहीं जाते हैं तो प्रोटोकॉल के तहत अपने कार्यक्रम निर्धारित करके जाते हैं और इन कार्यक्रमों के संपन्न हो जाने के बाद उनमें गोपनीय जैसा कुछ भी नहीं होता है. उर्वशी ने यह भी कहा है कि जो यात्राएं भूतकाल में हो चुकी हैं उनकी सूचनाएं सार्वजनिक होने से किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरे जैसी कोई बात हो ही नहीं सकती हैं क्योंकि कोई भी भूतकाल में जा ही नहीं सकता है. मुख्य सूचना आयुक्त भवेश द्वारा अपने सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ दे देने और शाही द्वारा अपने सरकारी वाहनों की लॉग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ देने से मना करने के लिए कही हुई बातों को ऊल-जलूल बहानेबाजी बताते हुए इन आधारों पर उर्वशी ने शाही को सरकारी वाहनों के दुरुपयोग के लिए आरोपित करते हुए सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ को शिकायत भेजकर गहन जांच करवाने की बात कही है.
बकौल उर्वशी सूचना आयुक्त का काम अधिक से अधिक सूचना दिलवाना है लेकिन शाही द्वारा जनता के टैक्स के पैसों से चलने वाली सरकारी गाड़ियों का स्वयं द्वारा किया गया दुरुपयोग छुपाने के लिए सूचना देने से बचकाने आधारों पर मना करना उनका कदाचार है जिसके लिए वे सूबे की राज्यपाल को शिकायत भेजकर शाही के खिलाफ सूचना कानून की धारा 17 के तहत कार्यवाही शुरू करके शाही को बर्खास्त करने की मांग भी करेंगी.