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- मोदी जी, बेशर्म माफी नहीं मांगते
- ‘माझ माला ते वार का कंस दी’ का विमोचन
- महान आत्माएं चारा नहीं खाती, न विटामिन और ग्लूकोज लेती हैं बल्कि वे अपने भक्तों से सीधे ऊर्जा प्राप्त कर लेती हैं
- प्रेम में पगी डोर
- बत्ती गुल है, पर उम्मीदों के सहारे है अर्थ व्यवस्था!
मोदी जी, बेशर्म माफी नहीं मांगते Posted: 31 Jul 2012 12:00 AM PDT एल. एस. हरदेनिया नरेन्द्र मोदी से शायद ही कोई यह अपेक्षा करेगा कि वे किसी से क्षमा मांगेगे। क्षमा मांगने का नैतिक साहस और शक्ति उनमें होती है जो उदार होते हैं, जिनका दिल बड़ा होता है. और दुनिया जानती है कि नरेन्द्र मोदी का दिल बड़ा नहीं है। दुनिया के इतिहास में अनेक महान [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
‘माझ माला ते वार का कंस दी’ का विमोचन Posted: 30 Jul 2012 10:04 PM PDT चंडीगढ़ :- साहित्यिक सस्था 'मंथन', चंडीगढ़ के तत्वाधान मे तथा 'भारतीय साहित्य परिषद, मोहाली' के सौजन्य से व 'सर्वेंटस ऑफ पीपल्स सोसाइटी' के सहयोग से लाजपत राय भवन, सैक्टर 15, चण्डीगढ़ में रविवार, को सुबह 11.00 बजे एक पुस्तक लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें साहित्यकार डॉ0 वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता अध्यक्ष के तौर पर, श्री [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
Posted: 30 Jul 2012 08:57 PM PDT ठीक ही हम वहां नहीं थे : मकसद, मसीहा और जन का मिथक-2 सनत सिंह अब जरा इस बात पर गौर फरमाते हैं कि एक छोटे से गाँव में कुछ सामाजिक सुधार जैसे काम करने वाले और महाराष्ट्र में छिट पुट आन्दोलन चलाने वाले अन्ना अचानक पूरे राष्ट्रीय परिदृश्य पर कैसे छा गए? अप्रैल २०११ [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
Posted: 30 Jul 2012 08:03 PM PDT योगेश जादोन रक्षाबंधन के साथ एक प्रतीक जुड़ा है। प्रतीक यम-यमुना का। कहा जाता है कि मृत्यु के इस देवता को उसकी बहन यमुना से श्रावणी मास की पूर्णिमा को रक्षा डोर बांधी थी। तब यम ने यमुना के भक्तों को मृत्यु से अभय का वचन दिया। यह प्रतीक है प्रेम पर मौत की जीत [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
बत्ती गुल है, पर उम्मीदों के सहारे है अर्थ व्यवस्था! Posted: 30 Jul 2012 07:33 PM PDT कर चोरों की पनाहगाह बने बैंकों में 21,000 अरब डॉलर जमा! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास बत्ती गुल है, पर उम्मीदों के सहारे चल रही है अर्थ व्यवस्था! बिजली के निजीकरण से आम उपभोक्ताओं की जेबें काटने के बावजूद यह सरकार बिजली प्रबंधन में किस तरह फेल है, इसका नजारा सोमवार राजधानी नई दिल्ली समेत उतर [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
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