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- ललित कला में छा रहा सांस्कृतिक संकट
- लो जी कल्लो बात। मोदी पर धान मन्त्री हो गये …………………………
- खा गई सारे उसूलों को हुकूमत की हवस, कैसे-कैसे लोग दुनिया की नज़र से गिर गये।।
- आलोचना सहने की प्रवृत्ति विकसित करे सरकार : जस्टिस काटजू
- यह आधुनिक भारत के इतिहास का एक शर्मनाक अध्याय है
| ललित कला में छा रहा सांस्कृतिक संकट Posted: 04 Feb 2013 10:26 PM PST बी. एस. मिरगे वर्धा (डी.डी. कौसांबी कक्ष) । सुप्रसिद्ध कला मर्मज्ञ विजय शंकर ने कहा है कि ललित कला की सारी विधाओं जैसे चित्रकारी, संगीत, थिएटर इत्यादि में सांस्कृतिक संकट का सवाल बड़ी गहरायी तक पहुंच गया है। वे महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में आयोजित हिंदी का दूसरा समय कार्यक्रम के चौथे दिन सोमवार [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
| लो जी कल्लो बात। मोदी पर धान मन्त्री हो गये ………………………… Posted: 04 Feb 2013 09:58 PM PST चंचल लौट के बुद्धू घर को आये। लंबी यात्रा के बाद गाँव लौटा हूँ। अत्र कुशलं तत्रास्तु के पश्चात विदित हो कि ‘हियाँ सब राजी खुशी से हैं’ और ज्यादा खुशी की तलाश में बारी-बारी सब अखबार पलट रहे हैं। अंत में खुशी का एक झोंका आया। कीन उपाधिया ने चहकते हुए ऐलान किया [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
| खा गई सारे उसूलों को हुकूमत की हवस, कैसे-कैसे लोग दुनिया की नज़र से गिर गये।। Posted: 04 Feb 2013 08:40 AM PST फूल ख़ान सारी दुनिया आज एक खौफ के साये में जी रही है। हर तरफ इंसानी खून की नदियाँ बह रही है। कहीं मज़हब के नाम पर, कहीं नस्ल के नाम पर, कहीं इलाके के नाम पर, कहीं ज़बान के नाम पर तो कहीं सरहदों और शासन के नाम पर इंसान इंसानियत का खून बहा [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
| आलोचना सहने की प्रवृत्ति विकसित करे सरकार : जस्टिस काटजू Posted: 04 Feb 2013 07:15 AM PST हस्तक्षेप ब्यूरो नई दिल्ली। भारतीय प्रेस परिषद के चेयरमैन जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने सरकार, मन्त्रियों एवं अधिकारियों को आईना दिखाते हुये कहा है कि इन्हें अपनी आलोचना सहने की प्रवृत्ति विकसित करनी चाहिये। जस्टिस काटजू ने कहा कि उन्हें अनेक समाचार पत्र-पत्रिकाओं की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि केन्द्र व राज्य सरकार [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
| यह आधुनिक भारत के इतिहास का एक शर्मनाक अध्याय है Posted: 04 Feb 2013 06:31 AM PST सरकार में बैठे लोग किसी भी किसी भी कीमत पर विदेशी पूँजी को रिझाने, लुभाने, खुश करने और बुलाने के लिए बैचेन हैं। इसके लिए वे देशहित, जनहित, सरकार हित, नैतिकता, संप्रभुता सबको तिलांजलि देने के लिए तैयार हैं। विदेशी पूंजी की यह गुलामी अभूतपूर्व है। पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
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