please do something---- it is against indian constitution ,
U .N constitution , human right , secularism , no country has a law against majority population the way congress is doing ---- etc. etc.please do something . do not just sit over this --- act act act ----
From: Trishool <lalhgehi@yahoo.com>
To: AyodhyaPrasad Tripathi <aryavrt39@gmail.com>; bhagavaandaas tyaagi <bhagavaandaas@yahoo.ca>
Sent: Fri, May 27, 2011 11:45:28 AM
Subject: Re: --- हिन्दू जागो
I THINK, CONGRESS, CORRUPT SARKAR, SAYS:
HINDU BHAGO. !
Har Har Mahadev
Lal Gehi
From: AyodhyaPrasad Tripathi <aryavrt39@gmail.com>
To: bhagavaandaas tyaagi <bhagavaandaas@yahoo.ca>
Sent: Friday, May 27, 2011 8:09 AM
Subject: Re: --- हिन्दू जागो
May read the link below and act.
2011/5/27 bhagavaandaas tyaagi <bhagavaandaas@yahoo.ca>
भारत सेहिन्दू जागो , यह सरकार हिन्दुओं को समाप्त करने पर तुली है ---निर्दोषी हिन्दुओं को फांसी दोषी मुसलमानों को माफी ---खबर NDTV --'सांप्रदायिक हिंसा के लिए बहुसंख्यक जिम्मेदार'भाषानई दिल्ली, बृहस्पतिवार, मई 26, 2011भाजपा ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा तैयार साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम मसौदा विधेयक की कड़ी आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह इस अनुमान पर आधारित है कि साम्प्रदायिक हिंसा के लिए हमेशा बहुसंख्यक समुदाय ही जिम्मेदार होगा।
भाजपा ने कहा कि अगर यह मसौदा कानून बनता है तो इससे देश में समुदायों के बीच साम्प्रदायिक सौहार्द कायम होने के बजाय पारस्परिक संबंध खराब होंगे।
संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा तैयार किए गए साम्प्रदायिक तथा लक्षित हिंसा (इंसाफ तथा क्षतिपूर्ति तक पहुंच) विधेयक के मसौदे का राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने विश्लेषण करते हुए यह बात कही है।
जेटली ने कहा कि इस मसौदे के रूप में आतंकवादी निरोधी टाडा से भी अधिक काला कानून अब इस सरकार द्वारा प्रस्तावित है। जेटली ने कहा कि यह मसौदा विधेयक उन 'सामाजिक उद्यमियों' का काम प्रतीत होता है, जिन्होंने 'गुजरात के तजुर्बे' से यह सीख लिया कि किस तरह वरिष्ठ नेताओं को उस अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए, जिसके वे असल में दोषी नहीं होते।
उन्होंने कहा, ''यह मसौदा विधेयक इस अनुमान पर बनाया गया है किसाम्प्रदायिक अशांति सिर्फ बहुसंख्यक समुदाय के सदस्य ही फैलायेंगे, अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य ऐसा कभी नहीं करेंगे और अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा बहुसंख्यकों के खिलाफ समान तरह का कृत्य अपराध नहीं माना जाएगा।'' जेटली ने कहा कि मसौदे से ऐसा प्रतीत होता है कि यौन दुर्व्यवहार तभी दंडनीय होगा जब वह अल्पसंख्यक समुदाय के किसी सदस्य के खिलाफ हो।
जेटली ने अपने विश्लेषण में कहा कि मसौदे से यह भी नजर आता है कि 'नफरत भरा प्रचार' तभी अपराध माना जाएगा जब वह अल्पसंख्यक 'समूह' के खिलाफ हो। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस मसौदा विधेयक में 'अपराध' को अत्यधिक भेदभाव के साथ पुन:परिभाषित किया गया है। इससे ऐसा लगता है कि अगर अल्पसंख्यक समुदाय का कोई सदस्य बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ अपराध करता है तो उसे दंडनीय नहीं माना जाएगा।
उन्होंने मसौदा विधेयक में 'राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने' के जिक्र पर भी सवाल उठाए। जेटली ने कहा कि मसौदे में कहा गया है कि साम्प्रदायिक तथा लक्षित हिंसा का अर्थ उस हिंसा से है जो 'राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने' को नुकसान पहुंचाती हो। लेकिन धर्मनिरपेक्षता क्या है, इसे लेकर भी तर्कसंगत राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं।जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के 'सामाजिक उद्यमियों' ने इस तरह के खतरनाक और भेदभावकारी विधेयक के मसौदे को आकार दिया है। लेकिन यह भी आश्चर्यजनक है कि किस तरह इस परिषद की राजनीतिक प्रमुख (सोनिया गांधी) ने मसौदे को मंजूरी दे दी। गौरतलब है कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के बाद समाज के विभिन्न वर्ग की ओर से साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने के प्रावधान वाला कानून बनाने की मांग की गई थी। एनएसी ने इस मसौदे को 28 अप्रैल को अंतिम रूप दिया था।
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