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- अपनी ही तलाश में भटक रहे बंजारा किस्म के इंसान की दास्तान हैं निदा
- विलक्षण अभिनय प्रतिभा के धनी थे दादा मुनि
- Secularism and BJP’s Dilemmas
अपनी ही तलाश में भटक रहे बंजारा किस्म के इंसान की दास्तान हैं निदा Posted: 13 Oct 2012 09:53 AM PDT सुनील दत्ता मेरे तेरे नाम नये हैं, दर्द पुराना है यह दर्द पुराना है………………………निदा फ़ाज़ली हिन्दी – उर्दू शायरी के अजीम फनकार निदा फ़ाज़ली की शायरी एक कोलाज़ के समान है| इसके कई रंग और अनेको रूप हैं| किसी एक रुख से इसकी शिनाख्त मुमकिन नहीं है| निदा फ़ाज़ली ने अपनी ज़िंदगी के साथ कई [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
विलक्षण अभिनय प्रतिभा के धनी थे दादा मुनि Posted: 13 Oct 2012 05:02 AM PDT सुनील दत्ता छुपा लो यू दिल में प्यार मेरा, कि जैसे मंदिर में लौ दिये कि तुम अपने चरणों में रख लो मुझको तुम्हारे चरणों का फूल हूँ मैं … भारतीय फ़िल्मी इतिहास में जब यहाँ बोलती फिल्मों का दौर शुरू हुआ उस वक्त अभिनय में काफी लाउडनेस हुआ करती थी | इसके साथ ही [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
Posted: 12 Oct 2012 09:13 PM PDT Ram Puniyani Putting on masks with changing times are the compulsions of electoral politics for many parties, more so with a party like Bhartiya Janta Party. BJP so far has been doing this with great amount of ease, but lately its dilemmas are increasing in intensity due to its track record in the political arena [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
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