Thursday, October 18, 2012

राजनैतिक, आर्थिक, संस्कृतिक मुद्दो और आम आदमी के सवालो पर सार्थक हस्तक्षेप Hastakshep.com

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होशियार! कल तक एनजीओ चलाने वाले अब देश का उद्धार करने के लिए अवतरित हो चुके हैं

Posted: 18 Oct 2012 09:06 AM PDT

श्रीराम तिवारी मेरे कतिपय समकालीन प्रगतिशील मित्रों में आजकल एक विषय पर आम राय है कि वर्तमान वैश्विक चुनौतियां अब भारत में तीव्रगति से और अधिक आक्रामक रूप से प्रविष्ट हो रही हैं। इन चुनौतियों में सबसे अव्वल है राज्य सत्ता का अमानवीयकरण। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में भले ही वो पूंजीवादी ही क्यों न हो, आम [...]

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कारपोरेट हित में तैयार भूमि अधिग्रहण कानून आखिर किसके लिए?

Posted: 18 Oct 2012 08:15 AM PDT

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास भूमि अधिग्रहण कानून आखिर किसके लिए? जमीन बेचने लिए 3 में से 2 मालिकों की सहमति लेना जरूरी होगा। सहमति हासिल करना क्या मुश्किल है धन बल बाहुबल और राष्ट्रशक्ति के सैन्यबल के आगे पहले ही निहत्था आदमी जल, जंगल, जमीन, और आजीविका के हक हकूक खो चुका है। सहमति और मुआवजा [...]

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केजरीवाल का एक और कारतूस फुस्स, सारा ख़म निकल गया खेमका का

Posted: 18 Oct 2012 06:53 AM PDT

महान दार्शनिक सुकरात का एक कथन है…” एकाएक आई बाढ़ उतनी ही तेज़ी से उतर भी जाती है, अत्यधिक लोकप्रिय गीत विलुप्त भी तेज़ी से होता है और अथाह प्रेम से भीषण घृणा जन्म लेती है.” राबर्ट वाड्रा के मामले में मीडिया के चहेते और देश में भ्रष्टाचार को नापसंद करने वालों के हीरो हुए [...]

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आखिर विरोध कहाँ और किसका है ?

Posted: 18 Oct 2012 05:22 AM PDT

सुनील दत्ता ( फुटकर दुकानदारी में विदेशी कम्पनियों को छूट, जैसी नीतियों और सुधारों के संदर्भ में ) फिर खुदरा व्यापार में छूट देने के लिए तो अमेरिका व अन्य विकसित साम्राज्यी देशों की सरकारें पिछले दो — तीन सालों से चौतरफा दबाव डालती आ रही हैं| सत्ता पक्ष व विरोध पक्ष के नेताओं से [...]

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लगता है मीडिया ने अपने ऊपर न्यायालय का रोल भी ले लिया है

Posted: 17 Oct 2012 10:00 PM PDT

ललित सुरजन मीडिया, वाड्रा, खुर्शीद, खेमका,  मेरे एक मित्र का कहना है कि उन्होंने अब टीवी पर समाचार देखना बंद कर दिया है। वे कहते हैं कि तुम पत्रकार हो, समाचार सुनना तुम्हारी मजबूरी हो सकती है लेकिन मैं क्यों अपना समय और दिमाग व्यर्थ की बातों में बर्बाद करूं।  एक और मित्र झल्लाकर कहते [...]

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Haryana’s Khap Panchayats are unconstitutional

Posted: 17 Oct 2012 08:40 PM PDT

Vidya Bhushan Rawat When undemocratic societies masquerade as democracy then the result is the politics of symbolism and identities become more important than the issues. The murderer is not a murderer because he belongs to certain caste. The political statements are issued based on calculations of profit and loss during the elections. And the biggest [...]

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नेता मीडिया से नहीं जनता से डरते हैं केजरीवालजी !

Posted: 17 Oct 2012 07:55 PM PDT

डा जगदीश्वर चतुर्वेदी मजेदार मीडियागेम चल रहा है अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी के आरोपों पर खुर्शीद जांच को तैयार हैं,आ ज गडकरी भी तैयार हैं। असल में परंपरागत दलों में इतनी समझदारी विकसित हो गयी है कि जांच से उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। केजरीवाल भी जानते हैं आरोपों से इन नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा। [...]

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